इंदौर। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को कहा कि सरकार मध्यप्रदेश को भारतीय ज्ञान परंपरा की पीठ के रूप में विकसित करने की योजना पर काम कर रही है और इंदौर-उज्जैन गलियारा इसकी अगुवाई करेगा।
प्रधान ने इंदौर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के नवाचार, प्रौद्योगिकी एवं उद्यमिता अनुभवात्मक विद्यार्जन केंद्र के तहत उज्जैन में तीन अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं का वीडियो कॉन्फ्रेंस से उद्घाटन किया।
आईआईटी इंदौर का एक अन्य परिसर उज्जैन में प्रस्तावित है और यह केंद्र इस परिसर का हिस्सा होगा।
शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा,”हमें 21वीं सदी में मध्यप्रदेश को भारतीय ज्ञान परंपरा की पीठ बनाना है। इंदौर-उज्जैन गलियारा इस पीठ की अगुवाई करेगा।”
उन्होंने आईआईटी इंदौर प्रशासन को निर्देश दिया कि वह आजीविका, जल प्रबंधन, लॉजिस्टिक्स (माल के परिवहन एवं आपूर्ति का काम), टिकाऊ विकास और लोगों के जीवन की गुणवत्ता जैसे पहलुओं का स्थानीय स्तर पर अध्ययन करे और सूबे को भारतीय ज्ञान परंपरा की पीठ बनाने की योजना का खाका तीन महीने के भीतर तैयार करे।
उज्जैन में आयोजित उद्घाटन समारोह में मौजूद सूबे के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने कहा,”उज्जैन की मूल पहचान धार्मिक नगरी के रूप में है। हम चाहते हैं कि विज्ञान की नगरी के रूप में भी दुनियाभर में उज्जैन की पहचान स्थापित हो। आईआईटी इंदौर के केंद्र के उद्घाटन से आज इस दिशा में अहम शुरुआत हो गई है।”
आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये शामिल हुए। उन्होंने बताया कि आईआईटी इंदौर के उज्जैन में प्रस्तावित परिसर की शुरुआत के लिए अलग-अलग मंजूरियां ली जा रही हैं।
जोशी ने बताया कि आईआईटी इंदौर की ओर से विकसित कई तकनीक को उज्जैन स्थित परिसर में विशेषज्ञों और उद्योगपतियों के मार्गदर्शन में उन्नत बनाया जाएगा ताकि इन तकनीक के बूते समाज के लिए उपयोगी उत्पाद तैयार किए जा सकें।