भाषा और राष्ट्रवाद के निर्माण में मीडिया की भूमिका पर डीएसजे में आयोजित हुआ सेमिनार

asiakhabar.com | March 7, 2024 | 4:37 pm IST

नई दिल्ली।दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म और राष्ट्रीय सिंधी भाषा प्रोत्साहन परिषद (एनसीपीएसएल), शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की संयुक्त योजना में “मीडिया, भाषा एवं समर्थको की राष्ट्रवाद निर्माण में भूमिका” विषय पर एक-दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया। डीएसजे में बुधवार को आयोजित यह कार्यक्रम के.आर. मलकानी की स्मृति में हुआ। इस सेमिनार का उद्घाटन, कैंपस ऑफ़ ओपन लर्निंग, दिल्ली विश्वविद्यालय की निदेशक, प्रोफेसर पायल मागो ने किया। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर रवि पी. टेकचंदानी, निदेशक, एनसीपीएसएल, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार भी उपस्थित रहें। माननीय वक्ताओं में प्रफुल्ल केतकर, संपादक, आर्गनाइजर (साप्ताहिक), अनंत विजय, वरिष्ठ संपादक, दैनिक जागरण और डॉ. स्वदेश सिंह, लेखक और सत्यवती कॉलेज में प्राध्यापक ने अपने विशेषज्ञता और दृष्टिकोण के साथ सेमिनार को समृद्ध किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. जय प्रकाश दुबे ने की।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर पायल मागो ने कहा कि ‘भारत के सांस्कृतिक और राजनीतिक संदर्भ में आत्मीयता कभी नहीं खो सकती है।’ श्री अनंत विजय ने कहा कि सोशल मीडिया वास्तव में इंटरनेट मीडिया है और इसे सोशल मीडिया के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। श्री प्रफुल्ल केतकर ने श्री के.आर. मलकानी के पत्रकारिता यात्रा और उनके प्रादेशिक समझदारी, भू-राजनीतिक गहराई और राष्ट्रीय भाषाओं के पक्षपाती प्रचारक के रूप में उभरते होने पर चर्चा की। उन्होंने आपातकाल की घोषणा होने से पहले ही यह भविष्यवाणी की थी।
अन्य वक्ताओं प्रोफेसर रवि टेकचंदानी और डॉ. स्वदेश सिंह ने भी इस विषय पर अपने अनुभव साझा किए। सेमिनार के पृष्ठभूमि को व्याख्यान करते हुए प्रोफेसर जे.पी. दुबे ने कहा कि पत्रकारिता के तीन मौलिक संदेश मीडिया, भाषा, और राष्ट्रवाद के प्रोत्साहकों को दिल्ली पत्रकारिता विद्यालय में अपनाए गए शिक्षा-सीखने की प्रक्रियाओं में एकीकृत हैं। इस अवसर पर दिल्ली स्कूल ऑफ जर्नलिज्म ने “स्वामी विवेकानंद स्मारक राष्ट्रीय वाद-प्रतियोगिता” की रोलिंग ट्रॉफी का अनावरण किया तथा इस वर्ष के लिए ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल की ब्रोशर जारी किया गया। सेमिनार का संचालन डॉ. प्रियंका सचदेवा, डॉ. नमित सिंह, श्री मिथिलेश कुमार पांडेय और श्री प्रदीप कश्यप द्वारा किया गया। सेमिनार को श्रोताओं, शिक्षकों और छात्रों के सक्रिय भागीदारी से चिह्नित किया गया।


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