-डॉ. मनस्वी श्रीविद्यालंकार-
भगवान गणेश सबसे सरल और सुखदायक देवता हैं। उन्हें आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। प्रस्तुत है गणेश जी के मनोकामना पूर्ति मंत्र-
मनोवांछित फल प्राप्त करने हेतु भगवान श्री गणेश की प्रतिमा के सामने अथवा किसी मंदिर में अथवा किसी पुण्य क्षेत्र अथवा भगवान श्री गणेश के चित्र या प्रतिमा के सम्मुख बैठकर अनुष्ठान कर सकते हैं। अनुष्ठानकर्ता पवित्र स्थान में शुद्ध आसन पर बैठकर विभिन्न उपचारों से श्री गणेश का पूजन करें।
श्रद्धा एवं विश्वास के साथ मनोवांछित फल प्रदान करने वाले स्तोत्र का कम से कम 21 बार पाठ करें। यदि अधिक बार कर सकें तो श्रेष्ठ। प्रातः एवं सायंकाल दोनों समय करें, फल शीघ्र प्राप्त होता है। कामना पूर्ण हो जाने तक पाठ नियमित करते रहना चाहिए। कुछ एक अवसरों पर मनोवांछित फल की प्राप्ति या तो देरी से हो पाती है अथवा यदाकदा फल प्राप्त ही नहीं होते हैं।
फल प्राप्ति के अभाव में विद्वान, ज्योतिषी अथवा संत की शरण लेकर मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए, न कि अविश्वास व कुशंका करके आराध्य के प्रति अश्रद्धा व्यक्त करना चाहिए।
विघ्नों के नाश व मंगल विधान के लिए मंत्र…
गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः।।
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्।।
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित्।
(पद्म पु. पृ. 61।31-33)
गणपति, विघ्नराज, लम्बतुण्ड, गजानन, द्वैमातुर, हेरम्ब, एकदन्त, गणाधिप, विनायक, चारुकर्ण, पशुपाल और भवात्मज-ये बारह गणेशजी के नाम हैं। जो प्रातःकाल उठकर इनका पाठ करता है, संपूर्ण विश्व उनके वश में हो जाता है तथा उसे कभी विघ्न का सामना नहीं करना पड़ता।
मोक्ष प्राप्ति के लिए मंत्र…
परमं धामं, परमं ब्रह्म, परेशं परमेश्वरं
विघ्ननिघ्नं करं शांतं पुष्टं कांतमनंतकम
सुरा सुरेंद्रे सिद्धेन्द्रे स्तुतं स्तोमि परात्परम
सुर पद्म दिनेशं च गणेशं मंगलाय नमः
इदं स्तोत्रं महापुण्यं विघ्नशोक हरं परम
यह पठेत् प्रातरुत्थाय सर्व विघ्नात् प्रमुच्यते।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गणेश मंत्र
ऊं नमो विघ्नराजाय, सर्वसौख्य प्रदायिने
दुष्टारिष्ट विनाशाय पराय परमात्मने
लंबोदरं महावीर्यं, नागयज्ञोपज्ञोभितम
अर्धचंद्र धरं देहं विघ्नव्यूह विनाशनम्
ऊं ह्रां, ह्रीं ह्रुं, ह्रें ह्रौं हेरंबाय नमो नमः
सर्व सिद्धिं प्रदोसि त्वं सिद्धि बुद्धि प्रदो भवं
चिंतितार्थं प्रदस्तवं हीं, सततं मोदक प्रियं
सिंदूरारुण वस्त्रैश्च पूजितो वरदायकः
इदं गणपति स्तोत्रं य पठेद् भक्तिमान नरः
तस्य देहं च गेहं च स्वयं लक्ष्मीं निर्मुंजति।
संतान प्राप्ति हेतु मंत्र
ऊं नमोस्तु गणनाथाय, सिद्धिबुद्धि युताय च
सर्व प्रदाय देहाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च
गुरुदराय गरबे गोपुत्रे गुह्यासिताय ते
गोप्याय गोपिता शेष, भुवनाय चिदात्मने
विश्व मूलाय भव्याय, विश्व सृष्टि कराय ते
नमो नमस्ते सत्याय, सत्यपूर्णाय शुंडिने
एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः
प्रपन्न जन पालाय, प्रणतार्ति विनाशिने
शरणंभव देवेश संततिं सुदृढ़ां कुरु
भविष्यंति च ये पुत्रा मत्कुले गणनायकः
ते सर्वे तव पूजार्थं निरताः स्युर्वरोमतः
पुत्र प्रदं इदंस्तोत्रं सर्वसिद्धिप्रदायकम।