नोटबंदी से कम हुआ भ्रष्टाचार, कालेधन की अर्थव्यवस्था भी हुई खत्मः मोदी

asiakhabar.com | November 30, 2017 | 5:20 pm IST

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को कहा कि हमे जब सत्ता मिली तब हालत खराब थी, नोटबंदी ने कालेधन के रूप में चल रही समानांतर अर्थव्यवस्था को खत्म किया है। पीएम एक कार्यक्रम में केंद्र सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि 2014 में जब हमें सत्ता मिली तो अर्थव्यवस्था, गवर्नेंस, फिस्काल ऑर्डर और बैंकिंग सिस्टम की हालत खराब थी।

आज विदेशों में रहने वाले भारतीय गर्व से अपने हाथ ऊंचे करते हैं। केंद्र सरकार के लिए भ्रष्टाचार मुक्त, नागरिक केंद्रित और विकास रोधी सिस्टम सबसे बड़ी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि नीतियों पर आधारित, तकनीक पर आधारित, पारदर्शिता पर आधारित एक ऐसा सिस्टम हो जिसमें गड़बड़ी होने की आशंका कम हो।

मोदी ने केंद्र सरकार की योजनाओं का जिक्र करते हुए बताया कि देश के 15 करोड़ से ज्यादा गरीब सरकार की बीमा योजनाओं से जुड़ चुके हैं। इन योजनाओं के तहत गरीबों को लगभग 1800 करोड़ रुपए की राशि दी जा चुकी है। उन्होंने कहा कि अगर इतने रुपए किसी और सरकार ने दिए होते तो उसे मसीहा बनाकर प्रस्तुत कर दिया गया होता। ये भी एक सच है जिसे मैं स्वीकार करके चलता हूं।

उन्होंने कहा कि पहले की सरकार में जो LED बल्ब 300 से 350 रुपये में बिकता था, वो अब एक मध्यम वर्ग का परिवार 50 रुपए में भी खरीद सकता है। मोदी ने बताया कि उजाला योजना शुरू होने के बाद से देश में अब तक लगभग 28 करोड़ LED बल्ब बिक चुके हैं। इन बल्बों से लोगों को 14 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की अनुमानित बचत हो चुकी है।

पहले ही सरकारों को ऐसा करने से किसी ने रोक रखा था या नहीं, ये मैं नहीं जानता। लेकिन इतना जानता हूं कि सिस्टम में स्थाई परिवर्तन लाने फैसले लेने से, देशहित में फैसला लेने से, किसी के रोके नहीं रुकेंगे। इसलिए इस सरकार की अप्रोच इससे बिल्कुल अलग है। मोदी ने कहा कि हमारी सरकार में समग्र दृष्टिकोण के साथ फैसले लिए जाते हैं। इस तरह के फैसले पहले नहीं लिए जा रहे थे, इसलिए देश का हर व्यक्ति चिंता में था। वो देश को आंतरिक बुराइयों से मुक्त देखने के साथ ही, नई व्यवस्थाओं के निर्माण को भी होते हुए देखना चाहता था।

सिस्टम ने बनाया भ्रष्टाचार को शिष्टाचार –

मोदी ने कहा कि हमारे यहां जो सिस्टम था उसने भ्रष्टाचार को ही शिष्टाचार बना दिया था। 2014 में देश के सवा सौ करोड़ों ने इस व्यवस्था को बदलने के लिए वोट दिया था, वोट दिया था देश को लगी बीमारियों के परमानेंट इलाज के लिए, उन्होंने वोट दिया था न्यू इंडिया बनाने के लिए। मोदी ने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए मुझे जो भी कीमत चुकानी पड़े उसके लिए मैं तैयार हूं।

नोटबंदी के बाद आया व्यवहारिक बदलाव –

नोटबंदी के बाद देश में व्यवहारिक बदलाव आया है। आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब भ्रष्टाचारियों को कालेधन के लेन-देन से पहले डर लग रहा है। उनमें पकड़े जाने का भय आया है। जो कालाधन पहले पैरेलल इकॉनॉमी का आधार था, वो औपचारिक अर्थव्यस्था में आया है। ऐसे ही एक स्थिर बदलाव को आधार नंबर से मदद मिल रही है। आधार एक ऐसी शक्ति है जिससे ये सरकार गरीबों के अधिकार को सुनिश्चित कराना चाहती है। सस्ता राशन, स्कॉलरशिप, दवाई का खर्च, पेंशन, सरकार की तरफ से मिलने वाली सब्सिडी, गरीबों तक पहुंचाने में आधार की बड़ी भूमिका है।

आधार के साथ मोबाइल और जनधन की ताकत जुड़ जाने से एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण हुआ है, जिसके बारे में कुछ साल पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था। पिछले 3 वर्षों में आधार की मदद से करोड़ों फर्जी नाम सिस्टम से हटाए गए हैं। अब बेनामी संपत्ति के खिलाफ भी ये एक बड़ा हथियार बनने जा रहा है।

सिस्टम में बदलाव जरूरी –

पीएम मोदी ने कहा कि बड़े और स्थाई परिवर्तन ऐसे ही नहीं आते उसके लिए पूरे सिस्टम में बदलाव करने पड़ते हैं। जब ये बदलाव होते हैं तभी देश सिर्फ तीन साल में ईज ऑफ डूईंग बिजनेस की रैकिंग में 142 से 100 पर पहुंच जाता है। उन्होंने कहा कि साल 2014 में जब हम सत्ता आए तो अर्थव्यवस्था की हालत, गवर्नेंस की हालत, और बैंकिंग सिस्टम की हालत, सब बिगड़ी हुई थी।

आज वैश्विक तौर पर भारत कहां खड़ा है, किस स्थिति में है, आप उससे भली-भांति परिचित हैं। बड़े हों या छोटे, दुनिया के ज्यादातर देश आज भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहते हैं। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत अपना प्रभाव लगातार बढ़ा रहा है। अब तो रुकना नहीं है, आगे ही बढ़ते जाना है।

विदेश में रह रहे भारतीयों का सिर ऊंचा हुआ –

ये भारत की बढ़ती हुई साख और बढ़ते हुए विश्वास का परिणाम है कि आज विदेश में रह रहे 3 करोड़ भारतीय अपना माथा और ऊंचा करके बात कर रहे हैं। जब विदेश में ‘अबकी बार कैमरन सरकार’ और ‘अबकी बार ट्रंप सरकार’ के नारे गूंजते हैं, तो ये भारतीयों के सामर्थ्य की स्वीकृति होती है।


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