पणजी। पूर्व विश्व नंबर-1 तीरंदाज और अर्जुन अवॉर्डी दीपिका कुमारी ने दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण और एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने के बाद पिछले एक दशक से अधिक समय तक विश्व मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है। ओलंपियन और दो बार की विश्व चैंपियनशिप की पदक विजेता दीपिका ने दिसंबर 2022 में बेटी वेदिका को जन्म देने के बाद से तीरंदाजी से ब्रेक ले लिया था।
29 वर्षीय खिलाड़ी ने दिखाया कि लंबे अंतराल से उनकी भूख कम नहीं हुई है। उन्होंने हरियाणा की संगीता को 6-2 से हराकर रिकर्व महिला व्यक्तिगत स्वर्ण और निर्मल चौहान के साथ मिश्रित टीम का स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद उन्होंने दीप्ति कुमारी और कोमलिका बारी के साथ मिलकर महिला टीम को रजत पदक दिलाया। दीपिका, कोमलिका और दीप्ति को फाइनल में हरियाणा से शूट-आउट में हार का सामना करना पड़ा था।
फाइनल के बाद दीपिका ने कहा, ईमानदारी से कहूं तो स्वर्ण से ज्यादा से मेरे लिए मेरा प्रदर्शन महत्वपूर्ण था। मेरी मानसिकता जीत या हार के बारे में नहीं थी, बल्कि यह मेरे द्वारा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के बारे में थी। मैं अपने शॉट्स पर ध्यान केंद्रित करना चाहती थी और अपने मन में चल रहे अन्य विचारों को शांत करना चाहती थी। यह कुछ ऐसा है जो भविष्य में भी मुझे मानसिक रूप से मदद करेगा।
मां बनने के बाद उनकी जिंदगी कितनी बदल गई है, इस बारे में दीपिका ने कहा, यह नई जिंदगी मेरे लिए आसान बदलाव नहीं है। यह बदलाव मेरे लिए 360 डिग्री की तरह है। मैं अपने आस-पास के लोगों से बात करती हूं ताकि मैं अपनी हताशा को नियंत्रित कर सकूं। मैं अब हर चीज को लेकर शांत रहना चाहती हूं क्योंकि मैंने इस तथ्य को स्वीकार कर लिया है कि यह अब मेरा जीवन है और मुझे दोनों दुनिया के लिए बैलेंस बनाना है। भारतीय टीम में वापसी को ध्यान में रखते हुए अपनी ट्रेनिंग की गति कम किए बिना अपनी बेटी की देखभाल के बीच अपना समय बांटने से संतुलन बनाने की शुरुआत होती है।
झारखंड की इस खिलाड़ी ने कहा, मैं अपनी ताकत, आत्मविश्वास को फिर से वापस पाने और अपनी तकनीक को बेहतर बनाने पर काम कर रही हूं ताकि मैं जल्द से जल्द भारतीय टीम में वापसी कर सकूं। मेरा दिन अब पहले सुबह 5 बजे या कभी-कभी 4 बजे भी शुरू होता है। मैं सुबह 7:30 बजे अभ्यास के लिए निकलने से पहले अपनी बेटी के साथ कुछ समय बिताना पसंद करती हूं।
उन्होंने कहा, मैं दोपहर तक घर लौटती हूं, फिर थोड़ा आराम करती हूं और दोपहर 3:30 बजे अभ्यास और कसरत के लिए फिर से निकल जाती हूं। अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हासिल करने के लिए मेरा लक्ष्य प्रतिदिन कम से कम 300-350 तीर चलाने का है। दीपिका ने अपना ध्यान बनाए रखने में मदद के लिए अपनी दिनचर्या में योग और ध्यान जैसी चीजों को भी शामिल किया है, जबकि वह धीरे-धीरे दौड़ने, बॉडीवेट और हल्के वजन वाले अभ्यास के साथ अपने शारीरिक वर्कआउट को बढ़ाती हैं। वह अभी भी भारतीय तीरंदाजी में टॉप एथलीटों में से एक हैं और दुनिया में नंबर 2 स्थान पर है। दीपिका आने वाली पीढ़ी के युवा तीरंदाजों द्वारा उनके सामने आने वाली चुनौती के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
उन्होंने कहा, आजकल राष्ट्रीय सर्किट में हर तीरंदाज अच्छी तरह से तैयार होकर आता है और उन सभी की अपनी ताकत है। आजकल प्रतिस्पर्धी युवा हैं और उनके अंदर सफल होने की भूख है, इसलिए हमें राष्ट्रीय टीम में अपनी जगह बनाए रखने के लिए सीनियर के रूप में अतिरिक्त मेहनत करनी होगी। दीपिका ने कहा, मैं शांत रहने की कोशिश करती हूं और उनकी ऊर्जा से मेल खाने में सक्षम होने के लिए पहले की तुलना में अधिक अभ्यास करती हूं, साथ ही शीर्ष पर बने रहने के लिए वर्षों से प्राप्त ज्ञान और अनुभव का भी उपयोग करती हूं।