अंग्रेजी नहीं बोलने वाले परिवार की इस बेटी ने छुड़ाए सबके छक्के

asiakhabar.com | November 28, 2017 | 4:43 pm IST

लंदन। 16 साल की सेलिना बेगम ऐसे बांग्लादेशी परिवार से आती है, जहां अंग्रेजी नहीं बोली जाती है। मगर इसके बावजूद इस लड़की ने बर्कशायर के एटन कॉलेज में हुई डिबेट में अपनी अंग्रेजी के दम पर पहला स्थान हासिल किया।

ये कामयाबी इसलिए बड़ी है, क्योंकि सेलिना के माता-पिता बांग्लादेश में पैदा हुए हैं और 90 के दशक में काम के सिलसिले में ब्रिटेन आए। वहीं मातृभाषा बंगाली होने की वजह से इस परिवार में अंग्रेजी नहीं बोली जाती है। फिर भी सेलिना ने एटन कॉलेज में हुए डिबेट में जिस तरह फर्राटे से अंग्रेजी बोली, उससे हॉल में बैठे सभी लोग हैरान रह गए।

एटन कॉलेज के खचाखच भरे हॉल में एंट्री करने के वक्त सेलिना काफी डरी हुईं थीं। ये वही हॉल है, जिसका 2015 में प्रिंस चार्ल्स ने उद्घाटन किया था। वहीं राजकुमार विलियम और हैरी भी इसी कॉलेज में पढ़े थे। ऐसे में किसी भी सरकारी स्कूल के छात्र के लिए इस माहौल में घबराना बड़ी मामूली बात थी।

डिबेट में अव्वल आने के बाद सेलिना ने बताया कि- “ जिस वक्त वो हॉल में पहुंचीं तो सारी निगाहें उस पर थीं। ऐसे में जब मैंने जब बोलना शुरू किया तो उस वक्त मेरी आवाज कांप रही थी। मैं बुरी तरह घबराई हुई थी, मगर इसी वक्त मैंने गहरी सांस ली और खुद पर यकीन मजबूत करते हुए बोलना शुरू किया। इस दौरान मैं लगातार लोगों की आंखों में देखती रही, ताकि इस बहस में उन्हें जोड़े रख सकूं( सेलिना अमेरिका में मृत्युदंड बंद करने के पक्ष में बोल रही थी)। बस फिर क्या, मैं बोलती गई और नतीजा सबके सामने है।”

टॉप 6 में पहुंचने के लिए 200 को पछाड़ा-

सेलिना की ये कामयाबी इसलिए भी बड़ी है, क्योंकि इस डिबेट के टॉप 6 में पहुंचने के लिए उसने 200 छात्रों को मात दी थी। सेलिना ने बताया कि फाइनल से पहले उसे ये नहीं लग रहा था कि वो इस डिबेट में ठहर पाएगी।

यही वजह थी कि जब विजेता का ऐलान हुआ तो- “मैं खुद ताली बजा रही थी, जबकि मेरा ही नाम पुकारा गया था। पास में खड़ी मेरे टीचर ने जब बताया तो मुझे पता चला कि पहला स्थान मुझे मिला है।”

बेटी की कामयाबी पर परिवार खुश-

बेटी को मिली इस कामयाबी पर परिवार भी काफी खुश है। खासतौर पर 44 साल के पिता अब्दुर रहीम बेटी को मिली सफलता पर फूले नहीं समा रहे। उन्होंने कहा कि सेलिना बेहद ही साधारण परिवेश से आती है। ऐसे में ये उपबल्धि असाधारण है और दूसरे बच्चों के लिए मिसाल है कि अगर कोई ठान लें तो कुछ भी मुमकिन है।

वहीं सेलिना की मां जुसना बेगम भी बेटी की कामयाबी को बड़ा मान रही हैं और दूसरे छात्रों को इससे सीख मिलने की बात कह रही हैं।


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