शर्मनाक हार से उबरकर जीत की राह पर लौटना चाहेंगे इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका

asiakhabar.com | October 20, 2023 | 5:34 pm IST

मुंबई। दोनों टीमों को पिछले मैच में कमजोर टीमों के हाथों अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा लेकिन अब दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड शनिवार को विश्व कप के मैच में यहां आमने सामने होंगे तो नजरें जीत की राह पर लौटने पर लगी होंगी।
विश्व कप में सर्वाधिक स्कोर (पांच विकेट पर 428 रन) का रिकॉर्ड बनाने के बाद दक्षिण अफ्रीका को धर्मशाला में वर्षाबाधित मैच में नीदरलैंड ने हराकर उलटफेर कर दिया। यह इस विश्व कप में दक्षिण अफ्रीका की पहली हार थी। इसी तरह इंग्लैंड को दिल्ली में अफगानिस्तान ने मात दी। पचास ओवरों के विश्व कप के इतिहास में इंग्लैंड का दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ रिकॉर्ड भले ही 4.3 का है लेकिन इस बार दक्षिण अफ्रीका का प्रदर्शन बेहतर रहा है।
दक्षिण अफ्रीका ने टूर्नामेंट की शुरूआत में आस्ट्रेलिया और श्रीलंका को सौ से अधिक रनों के अंतर से हराया लेकिन डच टीम से हार ने एक बार फिर साबित कर दिया कि दबाव के सामने टीम बिखर जाती है। इंग्लैंड की टीम भी हर विभाग में जूझ रही है और उसका मनोबल गिरा हुआ है। इस मैच में उसे बेन स्टोक्स की सेवायें मिल सकती है जो पहले तीन मैच कूल्हे की चोट के कारण नहीं खेल सके थे।
टूर्नामेंट के पहले मैच में इंग्लैंड को न्यूजीलैंड ने हराया था। इसके बाद इंग्लैंड ने बांग्लादेश को मात दी लेकिन अफगानिस्तान से मिली हार ने उसका मनोबल गिरा दिया। तीन मैचों में 43, 20 और 9 के स्कोर के साथ जोस बटलर का मनोबल गिरा हुआ है। वहीं लियाम लिविंगस्टोन ने भी तीन मैचों में 20, 0 और 10 रन बनाये हैं। जो रूट ने दो अर्धशतक और डेविड मलान ने शतक बनाया है लेकिन बल्लेबाजों को एक ईकाई के रूप में खेलना होगा।
रीसे टॉपली (पांच विकेट), मार्क वुड (तीन विकेट) और आदिल रशीद (चार विकेट) भी अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सके हैं। पिछली बार इंग्लैंड के लिये सर्वाधिक 20 विकेट लेने वाले जोफ्रा आर्चर मुंबई पहुंच गए हैं लेकिन वह रिजर्व गेंदबाज होंगे और अभी वापसी का कोई इरादा नहीं है।
तेम्बा बावुमा बतौर बल्लेबाज कभी लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके लेकिन पिछले साल भर में कप्तानी बखूबी की है। लगातार दो शतक के साथ क्विंटोन डिकॉक ने साबित कर दिया कि वह भी पीछे नहीं है। एडेन मार्कराम और रासी वान डेर डुसेन भी फॉर्म में हैं और हालात के अनुरूप तेज खेल सकते हैं। विश्व कप का कारवां आखिर उस मैदान पर आ गया है जहां 2011 में फाइनल हुआ था। सीमारेखा छोटी होने से वानखेड़े स्टेडियम बल्लेबाजों का मददगार रहा है।


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