देवी कुष्माण्डा

asiakhabar.com | October 18, 2023 | 5:29 pm IST

अशोक कुमार यादव मुंगेली
हलू-हलू हँस-हँस के ये दुनिया ल बनाए।
जग जननी, आदिशक्ति, कुष्माण्डा कहाए।।
जम्मों कोती छाए रहिसे बिकट अँधियारी।
अपन दैवी शक्ति ले करे दिब्य उजियारी।।
तोला आठ भुजा के कारन अष्टभुजा कहिथें।
सात हाथ म सस्त्र धरे, आठ म माला रहिथे।।
तोर सवारी हे दाई जंगल के राजा जबर शेर।
बचाए बर आथच गरीब, दुबर के सून के टेर।।
देबी तैंय सुरुज के भितरी लोक म रहिथच।
उजास अउ जोति ल दसों दिसा म बहाथच।।
मैंय धीर अउ निरमल मन ले करहूँ तोर सेवा।
भगत के रोग, दुख, उदासी ल दूर कर देवा।।
जुग-जुग जियौंव, बल, बुद्धि के हो बिकास।
झटकुन खुश होबे दाई, छुवौंव मैंय अगास।।


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