हमास की हरकतों से दुनिया को लेना होगा सबक

asiakhabar.com | October 15, 2023 | 5:28 pm IST
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-डा. रवीन्द्र अरजरिया-
इजराइल में आतंकी संगठन हमास ने खुलेआम न केवल बरबरतापूर्ण कत्लेआम किया बल्कि समूची दुनिया को इस्लामिक कानून जबरन मनवाने का धमकी भी दे डाली। हमास के कमांडर महमूद अल जहर ने एक मिनिट से अधिक के वीडियो में अपना प्रभाव बढाने का दावा करते हुए इजराइल को केवल शुरूआत बताया है। लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह ने तो अमेरिका को धमकी देते हुए अपने वर्चस्व की घोषणा तक कर दी। विगत 7 अक्टूबर को जिस तरह से हमास ने इजराइल में कत्लेआम मचाया, मासूम बच्चों को जिन्दा आग में झौंका, महिलाओं के साथ ज्यादतियां कीं, लोगों को बंधक बनाया, लूटपाट करके अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की, वह अब तक के आतंकी चेहरा से हटकर और क्रूरता की हद पार करने वाला था, जिससे दुनिया को डराने की कोशिश की जा रही है। हमास का अर्थ है हरकतुल मुकाबमतुल इस्लामिया है जिसे दूसरे शब्दों में इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन भी कह सकते हैं। यह संगठन फिलिस्तीन में सुन्नी मुसलमानों की एक सशस्त्र संस्था है जिसका गठन सन 1987 में हुआ था। इसके गठन में फिलिस्तीन के अलावा मिस्र भी शामिल हुआ था। वर्तमान में समूचा संसार मुस्लिम आतंकी संगठनों की चपेट में आ चुका है। इस्लामिक आतंकी संगठन पूरी दुनिया पर राज करने वाले पैगाम को लेकर चल रहे हैं। उनका मानना है कि अतीत में जो घोषणा की गई थी, कि धरती पर केवल इस्लाम को मानने वाले ही होंगे, उसे पूरा करने का वक्त आ गया है। सभी को शरिया मानना माना पडेगी। केवल खुदा को मानना पडेगा। मुस्लिम पध्दति से इबादत करना पडेगी। कट्टरता के तौर तरीके अपनाने पडेंगे। ईमानदाराना बात तो यह है कि इस पैगाम के पीछे दुनिया में सद्भावना, सहयोग, भाईचारा, अन्याय के विरुध्द एकजुट होकर खडे होना, अन्यायी को कठोर दण्ड, पूरे वातावरण में खुशहाली भरी शान्ति का जिक्र किया गया था। अनजान ताकत यानी सुपर पावर पर सभी को आस्था रखना पडेगी, उसके हुक्म को मानना पडेगा। सुपर पावर को देश, काल और परिस्थितियों के अनुसार परमात्मा, खुदा जैसे नाम दिये गये, इबादत के ढंग बनाये गये और वे समय के साथ हस्तांतरित होते चले आये। मगर सुपर पावर की बात को कुछ कट्टरपंथियों ने अपने-अपने ढंग से परिभाषित करके आस्थावानों को समझाना शुरू कर दी। बस यहीं से परमात्मा का वास्तविक संदेश धीरे-धीरे लुप्त होकर सुनाने वाले के शब्द, मंशा और नियत बन गये। उसी का परिणाम है कि कट्टरपंथियों ने अंधविश्वास की जडों को मजबूत करके कभी स्वर्ग की अप्सरायें दिखाईं तो कभी जन्नत की हूरें। आम आवाम ने अपने धर्मगुरुओं से कभी यह नहीं पूछा कि उन अप्सराओं या हूरों को आपने देखा है, बस उनकी कही हुई बात पर यकीन करते चले गये और बन गये जेहादी, फिदायनी या फिर मजहब के ठेकेदार। कट्टरपंथियों ने सन 1985 में हिजबुल्लाह का गठन लेबनान में हुआ और इसने इजराइल को अपने निशाने पर लिया। सन 1988 में गठित हुए अलकायदा ने तो अमेरिका की नाक में दम कर रखा है। सन 1990 में लश्कर ए तैयबा का गठन पाकिस्तान में हुआ और उसने भारत सहित अनेक देशों में आतंक फैला शुरू कर दिया। सन 1994 में गठित तालिबान ने तो अफगानस्तान की सत्ता तक हथिया ली और अन्य आतंकवादी संगठनों के लिए आदर्श बन गया। सन 1999 में गठित इस्लामिक स्टेट यानी आईएसआईएस ने सीरिया और इराक में सक्रिय होकर एशिया से लेकर यूरोप तक अपनी गतिविधियां तेज कर दीं। सन 2000 में जैश ए मोहम्मद का गठन पाकिस्तान में हुआ और उसने पडोसी देशों को प्रताडित करना शुरू कर दिया। सन 2002 में बोको हरम का गठन नाइजीरिया में हुआ और उसने कट्टरता का नया अध्याय लिखना शुरू कर दिया। सन 2007 में तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान का गठन हुआ और उसने अपनी हरकतों से आम आवाम को चोट पहुचाना शुरू कर दी। सन 2010 में इंडियन मुजाहिद्दीन का गठन पाकिस्तान और बंगलादेश के कट्टरपंथियों ने किया और खूनी होली खेलना शुरू कर दी। सीरिया में अल नुस्रा फ्रंट नामक संगठन गठित करके इस्लाम के झंडे तले दुनिया को लाने की कोशिशें की जाने लगीं। हिज्ब उल मुजाहिदीन, स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेन्ट आफ इंडिया यानी सिमी, असारुल्लाह बांगला टीम यानी एबीटी, इस्लामिक स्टेट आफ इराक एण्ड लेवेन्ट यानी आईएसआईएल, कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी यानी पीकेके, तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी यानी टीआईपी, तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेन्ट यानी टीआईएम, ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेन्ट यानी ईटीआईएम, इस्लामी आन्दोल यानी आईएमयू, इस्लामिक मूवमेन्ट आफ उज्बेकिस्तान यानी एएमयू, इस्लामिक मूवमेन्ट आफ पाकिस्तान यानी एएमपी, अल शबाब जैसे अनगिनत सक्षम आतंकी संगठनों के अलावा हजारों क्षेत्रीय संगठन भी खडे हो गये जो बडे संगठनों के इशारों पर छुटपुट आतंकी हरकतें करते रहते हैं। आतंकी संगठनों को अनेक मुस्लिम देश फितरा, जकात जैसे फंडों से सहायता ही नहीं करते बल्कि हथियारों की सप्लाई, प्रशिक्षण का प्रबंध तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर संरक्षण देने का काम भी करते हैं। ऐसे में इजराइल पर हमास का कत्लेआम करना दुनिया के लिए एक बानगी है जिस पर दुनिया के सभी देशों को एकजुट होकर आतंकवाद को जड से उखाड फैंकने के लिए कोशिशें करना चाहिए अन्यथा आने वाले समय में एक-एक करके हर देश में इजराइल जैसी घटनायें होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। शर्म की बात है कि इजराइल में निर्दोष लोगों, मासूम बच्चों और महिलाओं का बेरहमी से कत्लेआम करने वाले हमास से कुछ लोग बात करके समझौता करने की बात कर रहे हैं। आतंकियों के पक्षधरों को शायद यह नहीं मालूम कि इस्लाम के नाम पर खून की नदियां बहाने वालों के लिए मानवता, सहानुभूति और संवेदनाओं के मायने कब के कब्र में दफन हो चुके हैं। इतिहास गवाह है कि राष्ट्रीय कानूनों से लेकर अन्तर्राष्ट्रीय कानून तक को हाशिये पर पहुचाकर केवल और केवल शरिया को लागू करने वालों ने दुनिया के अनेक देशों में निरीह नागरिकों की हत्यायें करके गांव के गांवों को आबादीविहीन बना दिया था। तब स्वयं का हित चाहने वाले चौधरी देशों ने तमाशबीन बनकर तालियां ही बजाईं थीं। इन कट्टरपंथी आतंकी संगठनों को आज भी अनेक देश अत्याधुनिक हथियारों की खुलेआम सप्लाई कर रहे हैं, ट्रेनिंग कैम्प लगा रहे है, धन के अम्बार पहुंचा रहे हैं ताकि आने वाले समय में दुनिया में केवल और केवल शरिया लागू हो सके। क्या यही इस्लाम का असली मकसद है, यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर दुनिया के हर इंशान को खोजना चाहिए। जुल्म, जबरजस्ती और धोखे से लाचार पर कब्जा करना, किसी भी धर्म का अंग नहीं हो सकता। हमास की हरकतों से दुनिया को लेना होगा सबक अन्यथा निकट भविष्य में सांसों पर भी आतंकियों की पहलेदारी होते देर नहीं लगेगी। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।


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