अशोक कुमार यादव मुंगेली
तोला जोहार हे मोर दाई शैलपुत्री।
तोर बंदना हे मोर दाई देबी हेमवती।।
तैंय आबे सक्ति बइला म हो के सवार।
बाजा बजावत परघाके लाहूँ दुवार।।
मंदिर जइसे मंडप सजाए हौंव तोर बर।
रंग-बिरंग के फूल, माला अउ झालर।।
न मोला पूजा आवय, न ही पाठ ओ।
बेटा औंव तोर दाई, तोर हे आस ओ।।
एक हाथ म कमल, दूसर म तिरछुल।
माफ करबे मोला जब होही कुछू भूल।।
नव दुर्गा के तैंय पहिली दुर्गा जगदम्बा।
मैंय गाहूँ तोर भजन गीत ल जगराता।।
पापी मन के पाप ल नास कर भगवती।
हिमालय के बेटी, परभू संकर के सती।।