जिनके लगे हैं बड़े दांव

asiakhabar.com | October 13, 2023 | 6:12 pm IST
View Details

निर्वाचन आयोग ने महीने भर से भी ज्यादा चलने वाले चुनाव कार्यक्रम का एलान कर दिया है। इस दौरान पार्टियों की संसाधन जुटाने की क्षमता और उनकी आंतरिक शक्ति की भी परीक्षा होगी। कांग्रेस के लिए चुनौतियां ज्यादा हैं। पांच राज्यों की विधानसभाओं के लिए नवंबर में होने वाले चुनाव में सबसे कड़े इत्मिहान से कांग्रेस को गुजरना होगा। यह अकेली पार्टी है, जिसका चार राज्यों में बड़ा दांव लगा होगा। वैसे तो बड़ा दांव भाजपा का भी है, लेकिन तेलंगाना में अगर वह बहुत बेहतर नतीजे नहीं लाती है, तब भी इसे उसकी राष्ट्रीय आम चुनाव की संभावनाओं से जोड़ कर नहीं देखा जाएगा। जबकि कांग्रेस की परीक्षा राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के साथ-साथ तेलंगाना में भी है, जहां उसका मुख्य मुकाबला भारत राष्ट्र कांग्रेस (बीआरएस) से होने की संभावना है। बाकी तीन राज्यों में भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने होंगी। मिजोरम में ये दोनों पार्टियां अपने गठबंधन सहयोगियों के भरोसे मैदान में उतरेंगी। अगर पिछले विधानसभा चुनाव को आधार मानें, तो तेलंगाना में बीआरएस की बढ़त लगभग 20 प्रतिशत वोटों की है। आम तौर पर पांच साल के अंतर पर इतनी बड़ी खाई को पार कर पाना संभव नहीं होता है। ऐसे में कांग्रेस के लिए बेहतर उम्मीद यही होगी कि वह अपने लगभग 28 प्रतिशत के वोट आधार और पिछली बार मिली सीटों में बड़ा सुधार करके दिखाए। उधर छत्तीसगढ़ में भाजपा के सामने चुनौती दस प्रतिशत वोटों के अंतर को पाटने की है। सामान्य स्थितियों में ऐसा करना भी आसान नहीं होता। राजस्थान और मध्य प्रदेश दोनों राज्यों में 2018 में भाजपा और कांग्रेस के वोट प्रतिशत लगभग बराबर थे। इसलिए वहां दिलचस्प मुकाबला होने की संभावना जताई जा सकती है। राजस्थान में कांग्रेस, तो मध्य प्रदेश में भाजपा के सामने एंटी-इन्कम्बैंसी को काबू में रखने की चुनौती होगी। निर्वाचन आयोग ने महीने भर से भी ज्यादा चलने वाले चुनाव कार्यक्रम का एलान कर दिया है। इस दौरान पार्टियों की संसाधन जुटाने की क्षमता और उनकी आंतरिक शक्ति की भी परीक्षा होगी। संसाधनों के मामले में भाजपा का कोई मुकाबला नहीं है। इस लिहाज से कांग्रेस के सामने कहीं अधिक मुश्किलें पेश आएंगी। अब नजर इस पर होगी कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हो रहे इन मुकाबलों में बड़ी चुनौतियों के मद्देनजर दोनों पार्टियां कैसा दमखम दिखाती हैं। यह निर्विवाद है कि तीन दिसंबर को आने वाले नतीजों का बड़ा मनोवैज्ञानिक प्रभाव होगा।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *