नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के अरबी विभाग द्वारा डीयू संस्कृति परिषद के सहयोग से “इंडो सऊदी रिलेशन: थ्रू द एजेज” विषय पर इस दो दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन 11 अक्टूबर को दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में हुआ। इस अवसर पर महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रमेश भारद्वाज मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने अपने संबोधन में भारत और अरब विश्व के बीच शैक्षिक और अकादमिक संबंधों पर जोर दिया। उन्होंने सभी अल-ख्वारिज्मी का उदाहरण देते हुए कहा कि कई अरब विद्वानों ने भारत का दौरा किया और भारतीय विज्ञानों को सीखा है।
कार्यक्रम के दौरान राजदूत महेश सचदेव ने मुख्य वक्ता के तौर पर अपना भाषण प्रस्तुत किया। अपने मुख्य भाषण में सचदेव ने कहा कि भारत सऊदी अरब का चौथा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है। दोनों देशों के बीच संबंध पचास के दशक में उस वक्त शुरू हुए जब पं. नेहरू ने सऊदी अरब का दौरा किया था। उसके बाद दोनों देशों के कई राष्ट्र प्रमुखों ने एक दूसरे के देशों का दौरा किया जिससे दोनों देशों के बीच आपसी रिश्ते मजबूत हुए। उन्होंने कहा कि भारत व सऊदी अरब और यूरोप के बीच जी-20 शिखर सम्मेलन द्वारा प्रस्तावित गलियारा दोनों देशों के बीच संबंधों को फिर से मजबूत करेगा।
इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय सांस्कृतिक परिषद के चेयरपर्सन अनूप लाठर, डीन प्रो. रविंदर कुमार और कला संकाय के डीन प्रो. अमिताव चक्रवर्ती बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के आरंभ में अरबी विभाग के अध्यक्ष प्रो. एस. हसनैन अख्तर ने स्वागत भाषण दिया। अपने स्वागत भाषण में. प्रो. अख्तर ने कहा कि भारत और अरब जगत के बीच संबंध सदियों पुराने हैं और अरब लोग भारत और भारतीय वस्तुओं को बहुत पसंद करते हैं। अंत में प्रो नईमुल हसन ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। उद्घाटन सत्र की कार्यवाही का संचालन डॉ. मुजीब अख्तर ने किया। उद्घाटन सत्र के बाद सऊदी अरब के लोक नृत्य की एक फिल्म भी दिखाई गई। फिल्म के बाद पहला अकादमिक सत्र आयोजित किया गया जिसमें जेएमआई से प्रोफेसर अयूब नदवी और जेएनयू से डॉ. जज्जती पटनायक ने अपने पेपर प्रस्तुत किए। इस सत्र की कार्यवाही का संचालन डॉ. आसिफ इकबाल ने किया। सेमिनार के तीसरे और चौथे सत्र का आयोजन 12 अक्टूबर को होगा।