डायबिटीज आज के समय की सबसे आम बीमारी बन चुकी है। अगर इससे बचना चाहते हैं या बिल्कुल इसके शुरुआती स्टेज में इससे पीड़ित हैं तो कुछ ऐसे टेस्ट हैं, जिन्हें रेगुलर कराना बहुत जरूरी है। बल्कि 40 की उम्र के बाद तो ये टेस्ट पुरुष हो या महिला सबको ही कराने चाहिए।
एचबी ए-1 सी
ग्लाइकेटिड हीमोग्लोबिन, यह एक तरह का ब्लड टेस्ट ही होता है। इससे पीड़ित व्यक्ति के पिछले 2-3 महीने की औसत डायबिटीज की जानकारी मिल जाती है। इससे डॉक्टर को इलाज में आगे के और असरदार रिजल्ट्स मिलने के बारे में अंदाजा लग जाता है। इस टेस्ट को हर तीन महीने में एक बार जरूर कराना चाहिए।
लिपिड प्रोफाइल
इस टेस्ट में कोलेस्ट्रॉल में मौजूद एचडीएल, एलडीएल और ट्राइग्लाइसरायड आदि की जांच होती है। साल में एक बार कोलेस्ट्रॉल व ट्राइग्लिसराइड के लेवल की जांच जरूर करानी चाहिए। इनकी अधिक मात्रा बॉडी में डायबिटीज के अलावा हार्ट डिसीज का भी कारण बनती है। डायबिटीज होने पर या उससे बचाव के लिए इसका नियमित टेस्ट जरूरी है।
ब्लड प्रेशर
डायबिटीज और ब्लड प्रेशर का गहरा नाता है। अगर किसी को इनमें से एक बीमारी है तो दूसरी होने की संभावनाएं अधिक है। एक सर्वे के मुताबिक 60 प्रतिशत मामलों में देखा गया कि डायबिटीज के मरीज लंबे समय के बाद हाई ब्लड प्रेशर के शिकार हो जाते हैं। इसलिए समय-समय पर इसकी जांच कराना भी जरूरी है।
आई टेस्ट
डायबिटीज का असर आंखों की सेहत के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक होता है। डायबिटीज के कारण आंखों में होने वाली बीमारी को आई रेटीनोपैथी कहा जाता है। डायबिटीज वाले व्यक्ति को साल में एक या दो बार आंखों की जांच जरूर करवानी चाहिए। लेजर थैरेपी के जरिए इसे काबू किया जा सकता है।
एसीआर टेस्ट
एलब्यूमिनूरिया-2 क्रिएटिनाइन टेस्ट, किडनी के हेल्थ को जांचने के लिए होता है। डायबिटीज का असर बॉडी के बाकी पॉर्ट्स के अलावा किडनी पर ही होता है। इन पर असर पड़ने से हाई ब्लडप्रेशर और खून की कमी जैसी समस्याएं भी पैदा हो जाती हैं। डायबिटीज रोगियों को ये टेस्ट साल में एक बार जरूर कराना चाहिए।