-विनोद कुमार सिंह-
संसद द्वारा नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक-2023 पारित कर दिया गया है। यह उपलब्धि छोटी नही है, बल्कि भारतीय राजनीति के इतिहास का स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जायेगा। यह विशेष उपलब्धि हमें 17वी लोकसभा के 13वाँ 5 दिवसीय विशेष सत्र में देश को मिला है। जैसा कि आप को मालूम है कि मोदी सरकार के द्वितीय कार्यकाल में यह विशेष सत्र बुलाया गया था। संसद के इस विशेष सत्र को लेकर पूर्व में कांग्रेस समेत विपक्ष के सभी राजनीतिक दलों द्वारा शक व शंका जताई जा रही थी कि सरकार की क्या मजुबरी है, जो संसद का विशेष सत्र बुलाया जा रहा है। वह भी तब जब कुछ दिन पुर्व ही मानसुन सत्र का सत्रावसान हुआ हो। कांग्रेस की नेत्री सोनिया गाँधी अपने पत्र में चिन्ता जाहिर की गई। हालाकि सरकार द्वारा श्री मति सोनिया गाँधी के पत्र जबाव दिया गया। संसद के इस विशेष सत्र के पहले दिन पुराने रांसद भवन(जिसे अब संविधान सदन के नाम जाना जायेगा)आजादी के 75 वें पर सतापक्ष व विपक्ष द्वारा चर्चा की गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद नेहरू काल से डाo मनमोहन सिंह के कार्यकाल की चर्चा करते हुए देश के विकाश में उनके योगदान को सहारा गया। इन्दिरा गाँधी, अटल विहारी बाचपेयी, नरसिंहाराव आदि प्रधान मंत्री की भुमिका पर चर्चा व प्रसंसा की गई। विशेष के दुसरे दिन पुराने भवन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी व सभी सांसद सदस्यों का ग्रुप फोटो के बाद संविधान की प्रति लेकर अपनी अपनी यादों के संजोय कर नये संसद भवन में विधिवत प्रवेश किया। प्रधानमंत्री के संग सभी माननीय सांसदों ने अपने मन मे एक दृढ संक्लप ले कर सन 2047 के भविष्य के भारत का सपना लेकर प्रवेश किया। तारिख थी 19सितम्बर 23 थी।
आप को ध्यान दिलाना चाहुँगा कि इससे पहले17 सितम्बर के संघ्या में पुराने रांसद भवन व नए ससंद कुछ घंटे बिताने का स्वर्णिम अवशर मुझे प्राप्त हुए। मौका था संसद के सत्र पूर्व सर्वदलीय बैठक में पी एल बी में अपने मीडिया मित्र बाबुल भाई के संग। इस सुःखद पल को अपने यादों के पिटारों में संजोह रखें। सही समय पर इन यादों पर अपने पाठको से अवश्य ही शेयर करेंगे। फिर भी मै संक्षेप में नए भवन में बारे बता दूँ कि नवनिर्मित नए संसद भवन के प्रवेश द्वारा पर लगे हाथी, घोड़े और गरुड़ के मुर्ति लगी है। बताया जाता है क्रि इनका सीधा संबन्ध भारतीय संस्कृति व वास्तुकला से है। नव निर्मित इस भवन की वास्तुकला न केवल गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति दिलाने का संकेत है, बल्कि इसमें भारती वास्तुकला और सांस्कृतिक विरासत की हजारों साल पुरानी झलक भी देखने को मिल रही है। नए संसद भवन में छह प्रवेश द्वार बनाए गए हैं। पहले तीन द्वार पर अश्व, गज और गरुड़ की प्रतिमा है। इन प्रवेश द्वार का नाम क्रमःश ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार रखा गया है। इन प्रवेश द्वार का इस्तेमाल उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष और प्रधानमंत्री करेंगे। फिलहाल अभी आपका व समय व्यर्थ ना करने हुए नव निर्मित संसद भवन में बहुप्रतिक्षित महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा कर रहें है। नए संसद के संदर्भ कभी किसी अन्य आलेख में हम करेगें। आप को बता दें कि संसद के विशेष सत्र में मोदी सरकार द्वारा लायें गए इस बिल को सतापक्ष व विपक्ष द्वारा संसद के दोनो सदन से पारित कर दिया गया है। अब राष्ट्रपति के स्वीकृति के बाद यह कानुन बन जायेगा। परिणाम स्वरूप संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। लेकिन इस संदर्भ में “अभी दिल्ली दुर है ” वाली कहावत सटीक बैठ रही है।
सर्व विदित रहे कि विगत ढ़ाई दशक से अधिक समय से लंबित महिला आरक्षण बिल को संसद की मंजूरी मिलने से अब देश की आधी आबादी यानी महिलाओं को संसद के दोनों सदनों और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत प्रतिनिधित्व मिल सकेगा। हालांकि यह आरक्षण देश में सीटों के परिसीमन औरजनगणना पूरी होने के बाद चुनाव आयोग तय करेगा। इस बिल पर राज्य सभा में केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, प्रतिपक्ष नेता मल्लिकार्जुन खरगे, जेपी नड्डा समेत विभिन्न दलों के 72 सदस्यों ने चर्चा में हिस्सा लिया। इसके बाद चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस बिल को ज्यादातर दलों द्वारा समर्थन पर आभार जताया और कहा कि यह विधेयक देश की महिलाओं के सशक्तिकरण को और मजबूत करेगा। मेघवाल ने कहा कि बिल के माध्यम से लोकसभा और देश की सभी विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें नारी शक्ति के लिए आरक्षित की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से एससी एसटी वर्ग की महिलाओं को भी आरक्षण दिया जाएगा, इसलिए जनगणना और परिसीमन(डीलिमिटेशन)आवश्यक है। संविधान के आर्टिकल 82 में पहले से ही इस तरह का प्रावधान है।
खैर सरकार द्वारा लायें गए इस बिल पर संसद के दोनो सदनों से पारित होने के बाद विराम तो लग गया है लेकिन कांग्रेस व गठबन्ध के सभी राजनीतिक दलों नें बिल में ओं बी सी के प्रतिनिधि के लिए आरक्षण का प्रावधान को मुद्दा बनाया है। इससे साथ ही सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि महिला आरक्षण विधेयक को सरकार तत्काल लागु करें। इसके लिए विलम्ब क्यूं। यह मोदी सस्त्रार आगामी 5 राज्यों के विधान सभा चुनाव व अगले वर्ष होने लोक सभा के आम चुनावों के लिए मात्र एक जुमला है। जैसे कि पूर्व में काला धन को वापस लाकर 15 लाख सभी के खाते में लाने की जुमले थें उसी तरह देश की आदि आबादी महिलाओं के आरक्षण के नाम पर फिर से सिर्फ वोट की राजनीति साबित है। कुछ राजनीति विशेषलज्ञों की यह राय है कि भले ही महिला आरक्षण संसद व राज्यों के विधान सभा में लागु होने में कानुनी प्रकिया व समय लगे लैकिन सभी भारतीय राजनीतिक दल अपने स्तर पर पार्टी में समुचित प्रतिनिधित्व दे कर नारी शक्ति का अभिनंदन व अभिवादन तो कर दें। ताकि हम गर्व महसूस करते हुए इस कहावत को चरितार्थ कर सकें-यत्र नार्यस्तु पुज्यन्ते, तत्र रमन्ते देवता:। हमारे वेद, उपनिषद व पुरान में इसकी चर्चा की गई। नारी शक्ति वंदन विधेयक यथार्थ की घरातल पर आने में अभी वक्त लगेगा। तब सता के सिंघासन में कई परिवर्तन की आँधी आने के भी आसार भी लगाये जा रहे।