दुनिया इन दिनों सेल्फी की दीवानी है। सेल्फी यानी स्वयं ही अपना या अपने समूह का फोटो खींचना। इस आदत ने फोटोग्राफी की दुनिया को बदलकर रख दिया है। मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों को अपनी निर्माण इकाइयों, मशीनों और रिसर्च व शोध में करोड़ों रुपए का नया निवेश कर मोबाइल के पीछे वाले कैमरे के बजाय आगे वाले कैमरे पर ज्यादा ध्यान देना पड़ रहा है।
दुनियाभर में ऐसी धारणा है कि ‘सेल्फी’ खींचने का ट्रेंड कुछ साल पहले ही ईजाद किया गया है और यह एकदम नई बात है। 2013 में तो इसका प्रचलन इतना बढ़ा कि ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने उस साल इस शब्द को शामिल किया। मगर जरा ठहरिए और इतिहास पर नजर डालिए।
आप यह जानकर चौंक जाएंगे कि जिस सेल्फी कोआज की पीढ़ी एकदम नया ट्रेंड मानती है, वह सबसे पहले आज से करीब 97 साल पहले 1920 में ही ली जा चुकी थी। जी हां, ऊपर आप ये जो दो फोटो देख रहे हैं, ये 1920 में ली गईं दुनिया की पहली सेल्फी हैं।
ये बात और है कि तब सेल्फी के लिए कैमरे के पीछे की ओर लैंस नहीं था, बल्कि कैमरे को ही उल्टा पकड़ा गया था। हालांकि एक दावा यह भी है कि रॉबर्ट कॉरनेलियस द्वारा सन् 1839 में पहली सेल्फी ली गई थी, लेकिन उसे सेल्फी नहीं, बल्कि ‘फर्स्ट लाइट पिक्चर’ का सम्मान हासिल है।