दुनियाभर के इंजीनियर्स और आर्किटेक्ट के लिए अनसुलझा रहस्य बनी हुई है ये झूलती हुई मीनार। क्योंकि किसी एक मीनार को हिलानें पर दूसरी वाली कुछ अंतराल में खुद ही हिलने लगती है। जिसके कारण इसका नाम झूलती मीनार रखा गया है। इतना ही नही कई बीर भुकंप आने पर भी इस मस्जिद में कोई प्रभाव नही पड़ा। विशेषज्ञ इसे कुछ भी कहें लेकिन लोगों के लिए यह एक अजूबा बना हुआ है।
झूलती मीनार जिसे सीदी बशीर मस्जिद कहते है। यह गुजरात राज्य के अहमदाबाद शहर में स्थित है। गुजरात जो धार्मिक और अन्य ऐतिहासिक इमारतों की खुबसूरती के कारण प्रसिद्ध है। सीदी बशीर मस्जिद जिसे झूलती हुई इमारत कहते है। अपनी हिलने की प्रक्रिया के कारण एक रहस्य बनी हुई है । जिसे आज तक दुनिया का कोई भी इंजीनियर नही बता पाया। इसका रहस्य जानने के लिेए ब्रितानी शासन काल में बिट्रेन से इंजीनियर बुलाए गए थे। जिन्होंने इसकी खुदाई भी कराई, लेकिन उनकी हर कोशिश नकाम रही। और वह भी इसका रहस्य नही जान पाए।
इस मस्जिद का निर्माण:- माना जाता है कि इस मस्जिद का निर्माण 1461-64 के बीच सारंग ने सारंगपुर में कराया था। उस समय सीदी बशीर इस प्रोजेक्ट के पर्यवेक्षक थे। जब इनकी मृत्यु हुई उसके बाद इन्हें इसके पास ही दफना दिया गया। जिसके कारण इस मस्जिद का नाम सीदी बशीर मस्जिद पड़ा। साथ ही जिसें हिलनें के कारण झूलती हुई मीनार कहा गया।
विशेषज्ञ क्या मानते इस रहस्य के बारें में…
इस बारें में इन लोगों का कहना है कि ये मीनार अनजानें में झूलने वाली बन गई है। जिन पत्थरों से इस मीनार का निर्माण किया गया है। वह पत्थर कुछ ज्यादा ही लचक वाले थे। एक दूसरें शोध में यह बताया गया कि इन पत्थरों में फेलस्पार की मात्रा ज्यादा है जो कई सालों तक हुई रासायनिक अभिक्रिया का नतीजा है। यह मीनार बलुआ पत्थर से बनी है। है इन पत्थरों में ऐसा गुण पैदा हो गया।
इसके अलावा इन मीनारों की वास्तुकला भी इसके हिलने में मदद करती है। इन सिलेंडरनुमा मीनारों के अंदर सीढ़ियां सर्पाकार हैं। इसके पायदान पत्थरों को गढ़कर बनाए गए हैं। इनका एक किनारा मीनार की दीवार से जुड़ा है तो दूसरा छोर मीनार के बीचो-बीचों एक पतले स्तंभ की रचना करता है। पत्थरों की गढ़ाई बेहतरीन है। आज भी इनके जोड़ खुले नहीं हैं।
इससे यह बात साबित होती है कि निर्माण में कोई कमी नहीं है। जब मीनारों पर धक्का लगाया जाता है तो उसका असर दो दिशाओं पर होता है, एक तो ताकत लगाने की दिशा के विपरीत और दूसरा सर्पाकार सीढ़ियों की दिशा में नीचे से ऊपर की ओर। जिसके कारण मीनार आगे-पीछे हिलने लगती हैं।