नई दिल्ली। विश्व में बहुपक्षवाद को मजबूत करने और संयुक्त राष्ट्र सहित सभी बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार के आह्वान के साथ जी-20 शिखर सम्मेलन आज संपन्न हो गया और भारत ने जी-20 समूह की अध्यक्षता ब्राज़ील को सौंप दी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी-20 के तीसरे एवं अंतिम सत्र को संबोधित किया और इसके बाद ब्राज़ील के राष्ट्रपति लुइज़ इंसियो लूला दा सिल्वा को जी-20 की अध्यक्षता क प्रतीक चिह्न बैटन सौंपा और शिखर सम्मेलन के समापन की घोषणा की। उन्होंने नवंबर में जी-20 के नेताओं के एक वर्चुअल शिखर बैठक बुलाने की बात कही और सभी नेताओं से उसमें शिरकत करने की अपील की।
इससे पहले अपने संबोधन में श्री मोदी ने कहा, “कल हमने एक पृथ्वी और एक परिवार सत्रों में व्यापक चर्चा की। मुझे संतोष है कि आज जी-20, एक पृथ्वी, एक परिवार और एक साझा भविष्य के विज़न को लेकर, आशावादी प्रयासों का प्लेटफ़ॉर्म बना है। यहां हम ऐसे भविष्य की बात कर रहे हैं, जिसमें हम ग्लोबल विलेज से आगे बढ़कर वैश्विक परिवार को हकीकत बनता देखें। एक ऐसा भविष्य, जिसमें देशों के केवल हित ही नहीं जुड़े हों, बल्कि हृदय भी जुड़े हों।”
श्री मोदी ने जब हम हर देश की सुरक्षा, हर देश की संवेदना का ध्यान रखेंगे, तभी एक भविष्य का भाव सशक्त होगा। उन्हाेंने कहा कि विश्व को एक बेहतर भविष्य की तरफ ले जाने के लिए ये जरूरी है कि वैश्विक व्यवस्थाएं वर्तमान की वास्तविकताओं के मुताबिक हों। आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भी इसका एक उदाहरण है। जब संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की गयी थी, उस समय का विश्व आज से बिलकुल अलग था। उस समय संयुक्त राष्ट्र में 51 संस्थापक सदस्य थे। आज संयुक्त राष्ट्र में शामिल देशों की संख्या करीब 200 हो चुकी है। इसके बावजूद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य आज भी उतने ही हैं।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के गठन से आज तक दुनिया हर लिहाज़ से बहुत बदल चुकी है। परिवहन हो, संचार हो, स्वास्थ्य, शिक्षा, हर क्षेत्र का कायाकल्प हो चुका है। ये नई वास्तविकताएं हमारे नये वैश्विक ढांचे में प्रतिबिंबित होनी चाहिए। ये प्रकृति का नियम है कि जो व्यक्ति और संस्था समय के साथ स्वयं में बदलाव नहीं लाती है, वो अपनी प्रासंगिकता खो देती है। हमें खुले मन से विचार करना होगा कि आखिर क्या कारण है कि बीते वर्षों में अनेक क्षेत्रीय मंच अस्तित्व में आए हैं, और वो प्रभावी भी सिद्ध हो रहे हैं।
उन्होंने सुरक्षा परिषद में सुधार की वकालत करते हुए कहा, “आज हर वैश्विक संस्था को अपनी प्रासंगिकता बढ़ाने के लिए सुधार करना आवश्यक है। इसी सोच के साथ हमने कल ही अफ्रीकी संघ को जी-20 का स्थायी सदस्य बनाने की ऐतिहासिक पहल की है। इसी तरह, हमें बहुपक्षीय विकास बैंकों के कार्यक्षेत्र का विस्तार भी करना होगा। इस दिशा में हमारे फैसले तत्काल और प्रभावी भी होने चाहिए।”
श्री मोदी ने कहा कि तेजी से बदलते विश्व में हमें परावर्तन के साथ-साथ सातत्य और स्थिरता की भी उतनी ही जरूरत है। उन्होंने आह्वान किया कि हमें प्रण लेना चाहिए कि हरित विकास करार, सतत विकास लक्ष्यों पर कार्ययोजना, भ्रष्टाचार रोधी उच्चस्तरीय सिद्धांत, डिजीटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा और बहुपक्षीय बैंकों में सुधार के अपने संकल्पों को सिद्धि तक लेकर जायेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज कुछ अन्य ज्वलंत समस्याएं भी हमारे विश्व के सामने हैं, जो हम सभी देशों के वर्तमान और भविष्य, दोनों को प्रभावित कर रही हैं। साइबर सुरक्षा और क्रिप्टो मुद्रा की चुनौतियों से हम परिचित हैं। क्रिप्टो मुद्रा का क्षेत्र, सामाजिक व्यवस्था, मौद्रिक एवं वित्तीय स्थिरता, सबके लिए एक नया विषय बनकर उभरा है। इसलिए हमें क्रिप्टो मुद्राओं को रेगुलेट करने के लिए वैश्विक मानक विकसित करने होंगे। हमारे सामने बैंक नियामन पर बेसल मानक एक मॉडल के रूप में है।
उन्होंने कहा कि इस दिशा में जल्द से जल्द ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। इसी प्रकार साइबर सुरक्षा के लिए भी वैश्विक सहयोग और फ्रेमवर्क की ज़रूरत है। साइबर जगत से आतंकवाद को नए माध्यम, फंडिंग के नए तौर-तरीके मिल रहे हैं। ये हर देश की सुरक्षा और समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण विषय है।
उन्होंने वैश्विक विकास के मानकों में सुधार की बात कही कि सकल घरेलू उत्पादन केन्द्रित व्यवहार के बजाय मानव केन्द्रित विज़न पर हमारा ध्यान होना चाहिए। आज भारत जैसे अनेक देशों के पास ऐसा कितना कुछ है, जो हम पूरे विश्व के साथ साझा कर रहे हैं। भारत ने चंद्रयान मिशन के डेटा को मानव हित में सबके साथ शेयर करने की बात की है। ये भी मानव केन्द्रित प्रगति को लेकर हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
श्री मोदी ने कहा कि भारत ने टेक्नॉलॉजी को समावेशी विकास के लिए अंतिम स्थान तक डिलिवरी के लिए उपयोग किया है। हमारे छोटे से छोटे गाँव में, छोटे से छोटा व्यापारी भी, डिजिटल भुगतान कर रहा है। मुझे खुशी है कि भारत की अध्यक्षता में डिजीटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के लिए मजबूत फ्रेमवर्क पर सहमति बनी है। इसी तरह, विकास के लिए डाटा के प्रयोग के जी20 सिद्धांतों को भी स्वीकार किया गया है। ग्लोबल साउथ के विकास के लिए डाटा के साथ विकास क्षमता निर्माण पहल को शुरू करने का निर्णय भी लिया है। भारत की अध्यक्षता में स्टार्टअप 20 एगेंजमेंट ग्रुप का गठन भी एक बड़ा कदम है।
उन्होंने कहा कि आज हम न्यू जेनेरेशन टेक्नॉलॉजी में अकल्पनीय पैमाने एवं गति के गवाह बन रहे हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उदाहरण हमारे सामने है। 2019 में जी 20 ने एआई पर सिद्धांतों अपनाये थे। आज हमें उससे एक कदम और आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्होंने सुझाव दिया कि अब हम जवाबदेह मानव केन्द्रित एआई शासन के लिये एक फ्रेमवर्क तैयार करें। इस संबंध में भारत भी अपने सुझाव देगा। हमारा प्रयास होगा कि सामाजिक आर्थिक विकास, वैश्विक श्रमबल और अनुसंधान एवं विकास जैसे क्षेत्रों में सभी देशों को एआई का लाभ मिले।