संयुक्त राष्ट्र/जकार्ता। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने विश्वास व्यक्त किया है कि जी20 की अध्यक्षता के दौरान नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने के लिए पूरी तरह तैयार भारत, यह सुनिश्चित करने के लिए ”हर संभव” प्रयास करेगा कि मौजूदा भू-राजनीतिक विभाजन मिट जाए तथा विश्व नेताओं की महत्वपूर्ण सभा ”संभावित परिणाम” के साथ संपन्न हो।
गुतारेस नौ और 10 सितंबर को जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए शुक्रवार को दिल्ली पहुंचेंगे, जिसके लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन सहित विश्व नेता भारत की यात्रा कर रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हो रहे हैं।
गुतारेस ने जकार्ता में 13वें आसियान-संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में कहा, ”मुझे विश्वास है कि भारत यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करेगा कि मौजूदा भू-राजनीतिक विभाजन को दूर किया जाए और जी20 संभावित परिणामों के साथ संपन्न हो सके।”
वह जी20 के मेजबान के रूप में भारत से उनकी अपेक्षाओं के साथ-साथ अफ्रीकी संघ (एयू) को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह में लाने के लिए नयी दिल्ली के समर्थन पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
भारत ने पिछले साल दिसंबर में वर्ष भर के लिए जी20 की अध्यक्षता संभाली और दिल्ली में इस समूह के नेताओं का शिखर सम्मेलन यूक्रेन युद्ध, कोविड-19 महामारी का प्रभाव, आर्थिक मंदी, जलवायु परिवर्तन, बढ़ती गरीबी सहित कई भू-राजनीतिक चुनौतियों, असमानताओं के बीच हो रहा है।
गुतारेस ने कहा कि चूंकि वह जी20 शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं, इसलिए कुछ सवाल हैं जो उनके लिए जरूरी होंगे।
उन्होंने कहा, ”अंतरराष्ट्रीय वित्तीय वास्तुकला को आज की दुनिया की जरूरतों के अनुकूल बनाने के लिए इसमें सुधार के बारे में एक स्पष्ट संदेश होना चाहिए।”
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू ऋण राहत और दीर्घकालिक रियायती धन तक पहुंच की स्थिति बनाना है ताकि विकासशील देशों को कोविड-19, यूक्रेन में युद्ध और कई अन्य स्थितियों के प्रभावों से उबरने में सक्षम बनाया जा सके, जो कई देशों को कर्ज संकट के कगार पर पहुंचा रहा है।
गुतारेस ने कहा कि कई देशों को ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें उनके पास अपने लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए राजकोषीय गुंजाइश नहीं है।
गुतारेस ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की अफ्रीकी संघ के साथ बहुत ठोस साझेदारी है। उन्होंने कहा कि अफ्रीका के पास आज के अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में प्रतिनिधित्व की ”गंभीर समस्या” है।
उन्होंने कहा, ”मैं एक अफ्रीकी देश की कम से कम सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के रूप में उपस्थिति का दृढ़ता से समर्थन करता हूं। मैं देख सकता हूं कि अफ्रीका की मजबूत भागीदारी के लिए ‘ब्रेटन वुड्स प्रणाली’ में सुधार करना आवश्यक है और निसंदेह मुझे अफ़्रीकी संघ को जी20 के सदस्य के रूप में देखकर बहुत खुशी होगी।”
दूसरे विश्व युद्ध के बाद संसार में मुद्रा के नियंत्रण के लिए एक ऐसी प्रणाली बनाई गई थी जो सोने की कीमत के बजाय डॉलर के मूल्य पर आधारित थी, इसे ही ‘ब्रेटन वुड्स प्रणाली’ कहते हैं। जी20 में दुनिया के 19 सबसे संपन्न देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं।