बदलते मौसम में वायरल रोगों से बचना है तो करें ये योगासन

asiakhabar.com | September 7, 2023 | 5:02 pm IST
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बदलते मौसम में वायरल इंफेक्शन और वायरल रोगों का खतरा बढ़ जाता है। सर्दी, जुकाम, बुखार, सिरदर्द और बदन दर्द जैसी परेशानियां इस दौरान आम होती हैं। इससे बचाव के लिए आप साफ-सफाई का ध्यान रखते हैं और खाने-पीने का ध्यान रखते हैं। इन बीमारियों का खतरा उन लोगों को ज्यादा होता है, जिनका इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होता है। इसलिए अगर आप ऐसे योगासनों का अभ्यास करते हैं, जिनसे आपका इम्यून सिस्टम मजबूत होता है, तो आप इन वायरल रोगों और संक्रमण से बच सकते हैं। आइए आपको बताते हैं ऐसे ही योगासन, जो आपकी इम्यूनिटी बेहतर करते हैं।
सर्वांगासन: सर्वांगासन की खास बात ये है कि इसे करने से आपके शरीर के सभी अंगों को फायदा मिलता है, इसी लिए इसका नाम सर्वांगासन है। इस आसन का नियमित अभ्यास आपकी इम्यूनिटी बढ़ाता है और आपको रोगों से दूर रखता है। बच्चों और युवाओं के लिए भी ये आसन बहुत फायदेमंद है क्योंकि इससे शरीर का विकास बेहतर होता है और हार्मोन्स का बैलेंस बना रहता है। इसके अलावा इससे आपकी पाचन शक्ति ठीक रहती है और रक्त का शुद्धिकरण होता है।
कैसे करें सर्वांगासन: पीठ के बल लेटकर दोनों पैरों को एक साथ मिला लें और हाथों को शरीर की सीध में रखें। अब धीरे से पैरों को बिना मोडे ऊपर की तरफ उठाएं। जैसे-जैसे पैर ऊपर की तरफ उठाएंगे, वैसे-वैसे कमर को भी ऊपर की तरफ उठाएं। कोशिश करें कि पैर और पीठ इतने ऊपर उठ जाएं कि 90 डिग्री का कोण बन जाए। फिर धीरे-धीरे पहले की मुद्रा में आ जाएं। आप पीठ और कमर को उठाने के लिए हाथों का सहारा ले सकते हैं लेकिन कोहनियां जमीन से ही टिकी होनी चाहिए और चेहरा आसमान की ओर रहना चाहिए
मत्स्यासन: मत्यासन का अभ्यास भी आपको वायरल रोगों और इंफेक्शन से दूर रखता है। मत्स्यासन पेट और रीढ़ की हड्डी संबंधित सभी रोगों में बहुत फायदेमंद आसन माना जाता है। इसके नियमित अभ्यास से आपके फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है। इसके साथ ही आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है, जिसके कारण हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस आपको आसानी से बीमार नहीं बना पाते हैं। साथ ही यह आसन मेटाबॉलिज्म के लिए अच्छा माना जाता है।
कैसे करें मत्स्यासन: स्वच्छ वातावरण में समतल जमीन पर आसन बिछाकर सुखासन में बैठ जाएं। कुछ देर सांस को सामान्य करने के बाद पद्मासन लगा लें।हाथों का सहारा लेकर पीठ को पीछे की ओर धीरे-धीरे लाते हुए पीठ के बल लेट जाएं। पैरों के अंगूठों को पकड़कर उन्हें थोड़ा अपनी तरफ लाएं और पद्मासन को ठीक करते हुए घुटनों को जमीन पर अच्छी तरह से टिका दें। सांस भरें और पीठ, कंधों को ऊपर उठा गर्दन को पीछे की तरफ ले जाएं। सिर के भाग को जमीन पर टिका दें। पैरों के अंगूठों को पकड़ लें और सांस को सामान्य रखते हुए यथाशक्ति रोकने के बाद पद्मासन खोल लें। कुछ देर शवासन में लेटने के बाद पूर्व स्थिति में आ जाएं।
नाड़ी शोधन प्राणायाम: नाड़ी शोधन प्राणायाम पूरे शरीर के लिए फायदेमंद है। जैसा कि इसका नाम है, ये प्राणायां नाड़ी का शोधन करता है। इस आसन के अभ्यास से रोगों से लड़ने की क्षमता विकसित होती है और वायरल संक्रमण या रोगों के विषाणु आप पर असर नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा ये प्राणायाम मन को शांत और केंद्रित करता है। ये प्राणायाम श्वसन प्रणाली व रक्त-प्रवाह तंत्र से सम्बंधित समस्याओं से मुक्ति देता है।
कैसे करें नाड़ी शोधन प्राणायाम: सबसे पहले किसी भी सुखासन में बैठकर कमर को सीधा करें और आंखें बंद कर लें। दाएं हाथ के अंगूठे से दायीं नासिका बंद कर पूरी श्वास बाहर निकालें। अब बायीं नासिका से श्वास भरें और तीसरी अंगुली से बायीं नासिका को भी बंद कर लें। जितनी देर स्वाभाविक स्थिति में रोक सकते हैं, रोकें। फिर दायां अंगूठा हटाकर श्वास को धीरे-धीरे बाहर छोड़ें। फिर दायीं नासिका से गर्दन उठाकर श्वास को रोकें, फिर बायीं से धीरे से निकाल दें।


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