विपक्षी पार्टियों के नेताओं के इस दावे का कोई आधार नहीं है कि लोकसभा का चुनाव समय से पहले हो सकता है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले कहा कि भाजपा लोकसभा का चुनाव इस साल दिसंबर तक करा सकती है। इसके बाद यही बात बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दोहराई। उन्होंने भी कहा कि सरकार मुश्किल में है इसलिए वह जल्दी चुनाव में जा सकती है। ममता और नीतीश कुमार के अलावा कई और नेता अनौपचारिक बातचीत में इस बात की आशंका जता रहे हैं कि भाजपा अगले साल अप्रैल-मई की बजाय इस साल के अंत में चुनाव करा सकती है।असल में विपक्षी पार्टियां इससे एक नैरेटिव बना रही हैं। सोची समझी योजना के तहत विपक्ष की ओर से यह बात कही जा रही है ताकि विपक्ष के गठबंधन इंडियाÓ पर फोकस बढ़े और उसे गंभीरता से लिया जाए। तभी विपक्ष की ओर से बार बार यह भी कहा जा रहा है कि जब से इंडियाÓ का गठन हुआ है तब से भाजपा परेशान। ममता बनर्जी ने तो रसोई गैस सिलिंडर की कीमतों में कटौती को भी इसी से जोड़ा और कहा कि इंडियाÓ की दो बैठक हुई है और उसी से सरकार कीमतें कम करने लगी। जल्दी चुनाव की संभावना जताना इसी नैरेटिव का हिस्सा है। इसका मकसद यह बताना है कि केंद्र सरकार और भाजपा दोनों विपक्षी गठबंधन की वजह से चिंता में हैं और चाहते हैं कि विपक्ष और मजबूत हो उससे पहले चुनाव करा लिया जाए ताकि उन्हें चुनाव की तैयारी का मौका नहीं मिले।कई बार समय से पहले चुनाव करा लेना एक अच्छी रणनीति मानी जाती है। जैसे तेलंगाना में पिछली बार के चंद्रशेखर राव ने समय से पहले चुनाव करा लिया था और जीत गए थे। जैसे गुजरात में 2002 के दंगों के बाद नरेंद्र मोदी समय से पहले विधानसभा चुनाव कराना चाहते थे। लेकिन हर बार यह रणनीति कारगर नहीं होती है। केंद्र के स्तर पर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने छह महीने पहले चुनाव कराया था और हार कर सत्ता से बाहर हो गई थी। भाजपा के मौजूदा नेतृत्व को उसका अनुभव है। दूसरे, नरेंद्र मोदी अपनी सरकार का एक दिन भी जाया करने वाले नेता नहीं हैं। तभी 2019 का चुनाव 2014 के मुकाबले देरी से खत्म हुआ, नतीजे भी देरी से आए और मोदी ने शपथ भी चार दिन की देरी से ली।वैसे भी अगर चुनाव रणनीति के हिसाब से देखें तो भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव का जो कैलेंडर बनाया है उसके मुताबिक जनवरी का महीना सबसे अहम है, जब अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का उद्घाटन होना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसका उद्घाटन करेंगे और सात दिन तक धार्मिक उत्सव चलता रहेगा। भाजपा पूरे देश में इसका माहौल बनाएगी। उससे पहले इस साल दिसंबर तक सरकार ने 10 लाख युवाओं को रोजगार बांटने का ऐलान किया है, जिसकी प्रक्रिया चल रही है। अगर दिसंबर में चुनाव कराना होगा तो अक्टूबर में आचार संहिता लग जाएगी। ऐसे में सितंबर तक सारी नियुक्ति पत्र बांटनी होगी, जिसकी तैयारी अभी नहीं दिख रही है। नवंबर में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं और भाजपा किसी हाल में उनके साथ लोकसभा चुनाव नहीं कराएगी क्योंकि स्थानीय मुद्दों का असर लोकसभा पर हो सकता है। इसके अलावा भी कई कारण हैं, जिनसे लगता है कि चुनाव समय पर होंगे।