-विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन-
जैसे हमारे शरीर में बहुत से विभाग होते हैं सञ्चालन हेतु जैसे पाचनतंत्र, रक्तसंचरण तंत्र, श्वसन तंत्र, अस्थि तंत्र, नर्वस सिस्टम, रीनल सिस्टम। आदि आदि, संसार को चलने में सूर्य, चन्द्रमा, पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, अग्नि, फिर मौसम। कुआँ, तालाब, नदी, नाले, समुद्र आदि होते हैं फिर फसल जो हमारे भोजन के लिए आवश्यक हैं। गर्मी, सर्दी, बरसात। इसी प्रकार सरकार में भी कई सरकार होती हैं जैसे केंद्र, राज्य, स्थानीय, पंचायत आदि।
केंद्र सरकार में भी राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, संसद और उनके मंत्रिमंडल। मंत्री मंडल में भी बहुत सारे विभाग हैं जो एक दूसरे के लिए बनते हैं और सबसे अधिक वित्त मंत्री होते हैं उनके द्वारा ही सबको बजट दिया जाता हैं और वैसे भी कुबेर की और सब कृपा भाव से देखते हैं और उनकी कृपा पर ही विकास संभव होता हैं। उसके बाद गृह, रक्षा, स्वस्थ्य, रेल इत्यादि विभाग हैं और सबका साथ और सबका विकास का सूत्र सब पर लागु होता हैं। कृषि से भोजन, योजना से भविष्य, जिस प्रकार शरीर के प्रत्येक अंग प्रत्यंग बराबर के उपयोगी हैं इसी प्रकार सरकार के प्रत्येक विभाग विकास के सहयोगी हैं।
वर्तमान में हमारे देश की आबादी लगभग १३५ करोड़ के ऊपर पहुंच रही हैं यानि हम चीन से अग्रणी होने जाने जा रहे और सरकार ने १९७५ में परिवार नियोजन का सूत्र अपनाया था उसके बाद परिवार कल्याण विभाग का सूत्रपात हुआ. और हम स्वतंत्रता के बाद करीब ५ गुना आबादी में बढ़ गए । यह प्रगति का शुभ संकेत हैं ! जितना आबादी उतना संकट.इसके लिए स्वस्थ्य मंत्रालय ने रेल मंत्रालय से यह अनुबंध कर लिया की आप एक्सीडेंट के माध्यम से आबादी कम करे और प्रभु के द्वारा प्रभु तक पहुंचने का सही मार्ग हैं। इससे सरकार को आबादी कम करने में सुगमता हैं।
आने वाले समय में जब वरिष्ठ कर्मचारी सेवा निवृत होंगे और फिर आरक्षण के कारण जो भी भर्ती होंगी उनकी योग्यता के आधार पर रेल सञ्चालन होगा और वह सञ्चालन उत्कृष्ट होगा जिससे शासन को भी लाभ होगा और जनता भी खुश रहेंगी. कमसे कम रेल दुर्घटना के बाद उसके परिवार को अनुग्रह राशि मिलेंगी और वह तो सुखद मौत मरेंगा और परिवार को उपादेय होगा.कम से कम परिवार मृत आत्मा को शांति देगा और आर्थिक सम्पन्नता होंगी। पर यह सब होगा आरक्षण करने बाद यात्रा करने वालों को। पर सामान्य दर्ज़े वाले को कोई लाभ नहीं होगा कारण वह अनारक्षित हैं और शायद अनार्क्षितों को लाभ नहीं मिलता जितना आरक्षित जानो को मिलता हैं।
इन एक्सीडेंट के बहाने नै रेल गाड़ियां बनेंगी, पटरी सुधरेंगी और धीरे धीरे जन-संख्या कम होंगी और सरकार यह नहीं कह सकेंगी की डॉक्टरों की लापरवाही से मौतें हुई, इस कलंक से स्वास्थ्य विभाग बच जाएंगे और रेल विभाग तो पहले से ही प्रसिद्ध हैं क्योकि रेल में यात्रा करने से बीमा होने से सरकार को आमदनी होती हैं और बीमा होने से बीमा कंपनी को भुगतान करना होंगे, प्रधान मंत्री सहायता कोष तो हमेशा तैयार रहता हैं। उसका अलग। हमारे मध्य प्रदेश में तो किसान आंदोलन में मरने वाले को १ करोड़ दिया गया जिस पर मुकदमा चल रहा हैं पर रेल बहुत सुरक्षित हैं इस मामले कारण रेल दुर्घटना सबके सामने होती हैं और उसमे यात्री की कही भी गलती नहीं होती, इससे यात्री बच जाते हैं सरकारी कर्मचारी भी निलंबन के बाद जीत जाता हैं और उसको सम्पूर्ण भुकतान मिलता हैं।
इसी प्रकार हमारे देश में बरसात में बाढ़ के कारण भी बहुत मृत्यु होती हैं, गर्मी से भी लू के कारण और ठण्ड में अलाव न लगाने के कारण बेचारे मरते हैं उनमे कोई अनुग्रह राशि का प्रावधान न होने से सरकार का कोई धन खरच होता और आबादी कम हो जाती हैं उसका प्रतिशत कम होता हैं, रेल एक्सीडेंट की अपेक्षा। ईश्वर के हाथ में कुछ नहीं वर्तमान में, वर्तमान अश्विनी वैश्य ही हैं आबादी नियंत्रण करने के लिए. खूब विभाग एक्सीडेंट में प्रगति कर स्वस्थ्य विभाग के सपनों को पूरा करे यही हम प्रार्थना कर सकते हैं। ॐ शांति आपके अनुकरणीय सहयोग के लिए और इसका विकास निरंतर हो।