मुंबई। विश्व बाजार के कमजोर रुख के दबाव में बीते सप्ताह आधे प्रतिशत से अधिक लुढ़के घरेलू शेयर बाजार पर अगले सप्ताह फेड रिजर्व के एक बार फिर ब्याज दर बढ़ाने का डर और मुद्रा बाजार में जारी उठापटक का असर रहेगा।
बीते सप्ताह बीएसई का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 373.99 अंक अर्थात 0.6 प्रतिशत की गिरावट लेकर सप्ताहांत पर 65 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे 64948.66 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 113.05 अंक यानी 0.6 प्रतिशत की गिरावट लेकर 19310.15 अंक पर रहा।
समीक्षाधीन सप्ताह में बीएसई की दिग्गज कंपनियों की तरह मझौली और छोटी कंपनियों पर भी बिकवाली का दबाव रहा। इससे मिडकैप 164.24 अंक उतरकर सप्ताहांत पर 30265.32 अंक रह गया। इसी तरह स्मॉलकैप 7.29 अंक की मामूली गिरावट के साथ 35283.32 अंक पर सपाट रहा।
विश्लेषकों के अनुसार, घरेलू बाजार को बीते सप्ताह कमजोर वैश्विक और घरेलू संकेतों के कारण गिरावट का सामना करना पड़ा। इस परिस्थिति में निवेशकों ने अमेरिकी डॉलर जैसी सुरक्षित संपत्तियों की ओर रुख किया गया। घरेलू औद्योगिक उत्पादन में गिरावट, नकारात्मक थोक मुद्रास्फीति और खुदरा महंगाई के रिजर्व बैंक के लक्षित दायरे से अधिक होने ने बाजार में अस्थिरता में योगदान दिया।
अमेरिकी में खुदरा बिक्री के उम्मीद से अधिक मजबूत आंकड़े से फेड रिजर्व के ब्याज दर में एक बार फिर बढ़ोतरी करने की आशंका, अमेरिकी बैंक की रेटिंग में गिरावट और चीनी केंद्रीय बैंक के दर में अचानक कटौती से आर्थिक सुधार में बाधा उत्पन्न होने की आशंका ने भी बाजार पर दबाव बनाया। साथ ही अनुमान है कि अमेरिकी बांड यील्ड बढ़ने से भारत में विदेशी निवेश सीमित हो जाएगा, जिससे बाजार की गतिशीलता पर और असर पड़ेगा।
सुस्त औद्योगिक आंकड़ों और चीन की मांग को लेकर बनी चिंताओं के कारण बीते सप्ताह धातु समूह को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। इनके अलावा वैश्विक मुद्रा बाजार में उठापटक के कारण निवेशकों की निवेश धारणा कमजोर बनी हुई है, जो बाजार के प्रदर्शन को प्रभावित कर रहा है।