नई दिल्ली। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का पूंजीगत व्यय चालू वित्त वर्ष के पहले चार माह (अप्रैल-जुलाई) के दौरान 8.5 प्रतिशत बढ़कर 4,700 करोड़ रुपये रहा है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि मुख्य रूप से कोयला को एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाने के लिए बुनियादी ढांचा, जमीन और खनन मशीनों पर भारी निवेश की वजह से कंपनी का पूंजीगत व्यय बढ़ा है।
अप्रैल से शुरू हुए चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान कंपनी का पूंजीगत व्यय 4,754 करोड़ रुपये के लक्ष्य का लगभग 100 प्रतिशत रहा है। वहीं पूरे वित्त वर्ष 2023-24 के 16,600 करोड़ रुपये के लक्ष्य का यह 28.3 प्रतिशत है। आमतौर पर पहली तिमाही में कंपनी का खर्च कम रहता है और बाद की तिमाहियों में यह तेजी पकड़ने लगता है।
अप्रैल-जुलाई में कंपनी के पूंजीगत व्यय में 8.5 प्रतिशत की ऊंची वृद्धि पिछले साल की समान अवधि के ऊंचे आधार प्रभाव (4,332 करोड़ रुपये) की वजह से उल्लेखनीय है। बीते वित्त वर्ष 2022-23 में कंपनी का पूंजीगत व्यय 18,619 करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”ऐसे समय में जब सरकार केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को आर्थिक पुनरुद्धार के लिए अपने पूंजीगत व्यय को बढ़ाने को कह रही है, कोल इंडिया ने तीन साल की अवधि में अपने पूंजीगत व्यय को तीन गुना (197 प्रतिशत) कर दिया है। यह 2019-20 के 6,270 करोड़ रुपये से बढ़कर 2022-23 में 18,619 करोड़ रुपये हो गया है।”
चालू वित्त वर्ष के पहले चार माह में कंपनी के कुल खर्च में जमीन अधिग्रहण का हिस्सा सबसे अधिक 28 प्रतिशत रहा है। इस दौरान भूमि पर कंपनी का खर्च 1,311 करोड़ रुपये रहा है। इसके बाद भारी ‘अर्थ मूविंग मशीनरी’ (एचईएमएम) पर कंपनी का खर्च 23 प्रतिशत यानी 1,083 करोड़ रुपये रहा है।