-डा. भरत मिश्र प्राची-
सभी यह अच्छी तरह से जानते है कि देश के कई देश भक्तों की शहादत के चलते वर्षो की गुलामी से देश को आजादी मिली। आज देश को आजाद हुये 76 वर्ष होने जा रहे है। आजादी का रजत काल चल रहा है। इस दौरान देश में कई उतार-चढ़ाव आये। सत्ता परिवर्तन का दौर जारी रहा। आस-पास देश पाक चीन से युद्ध भी हुआ। हर युद्ध का देश के वीर जवानों ने वीरता से करारा जबाब दिया, शहीद हो गये पर तिरंगा को झूंकने नहीं दिया। कोरोना जैसी भयंकर बीमारी आई, जिसने हमसे कई अपनों को छीन लिया। आवागमन, रोजगार, बाजार, व्यवसाय टप्प पड़ गया। पर हिम्मत हारे नहीं, डटे रहे। स्वंतत्रता की आन बान की शान हर कीमत पर बनायें रखी। आज देश विश्व के अग्रिम पायदान पर खड़ा है।
आजादी के बाद देश की राजनीति ने करवटें बदली। सत्ता बदलती रही। सत्ता की राजनीतिक लड़ाई में दिन पर दिन गिरावट आती गई, आज भी गिरावट का दर जारी है। देश की आजादी में सभी धर्मो के लोगों ने साथ दिया। सभी धर्मो के लोगों ने शहादत दी। सभी धर्मो को आदर देने वाले देश में एक धर्म का देश बनाने की राजनीति शुरू हो गई है जो देश हित में कदापि नहीं। राजनीति के गिरते स्तर की झांकी संसद भवन, विधान सभा, विधान परिषद, नगर निगम, नगर पालिका, पंचायत भवन आदि स्थलों पर आसानी से देखी जा सकती जहां उठा-पटक, गाली-गलौज, हाथा-पाई से लेकर कुर्ता फाड़ की राजनीति हो रही है। लोकतंत्र के मजबूत स्तंभ को आज का माफिया तंत्र गिराने पर तुला हुआ है पर सत्ता पाने की ललक ने सभी राजनीतिक दलों को इस परिवेश से अच्छी तरह से जकड़ रखा है। देश में राजनीतिक दलों की बाढ़ सी आ गई है और सभी के सभी राजनीतिक दलों पर माफियाओं का वर्चस्व है, जिसमें दिन पर दिन वृद्धि होती जा रही है। एक दिन ऐसा आयेगा कि देश की विधायिका पर पूर्णरूपेण माफिया राज कायम हो जायेगा। फिर लोकतंत्र का कौन सा स्वरूप उजागर हो सकेगा, विचारणीय पहलू है।
आज लोकतंत्र पर हावी होते माफिया तंत्र के प्रभाव का नजारा हर जगह देखने को मिल रहा है। जिनके चलते देश को लुटने वालों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है। जो एक बार राजनीति में प्रवेश कर गया, विधायिका के प्रांगण में आ गया, उसके किस्मत में धन का पिटारा खुल गया। चंद समय में ही कंगाल से अमीर की श्रेणी में आ गया। राजनीति में इस तरह के आये लोगों ने विधायिका का दामन थाम देश को खुद तो लूटे ही, औरों को भी लुटने में मदद की, भगाने में मदद की। आजादी से पहले देश को विदेशियों ने जी भरकर लूटा, आज अपने ही देश को लूट रहे है। माफियाओं के बढ़ते कदम से देश के हर कोनें में आतंकवाद, बलात्कार, हत्या,अपहरण, आगजनी, लूट-पाट, घोटाले आदि की घटनाएं बढ़ती जा रही, इनको रोकने के बजाय इन घटित घटनाओं पर सत्ता की रोटियां सेकीं जा रही है।
जिस आजाद भारत के सपने मन में सजोये आजादी के दीवानें शहीद हो चले, आज वह भारत कहीं से नजर नहीं आ रहा है। देश आजाद हो गया, आज सबकुछ अपना है। देश विकास भी किया, आगे भी बढ़ा पर लोकतंत्र पर माफिया राज कायम होने एवं िदन पर दिन इसके वर्चस्व में वृद्धि होने के कारण लूट की प्रक्रिया से देश आज तक नहीं मुक्त हो पाया जिसके कारण देश में महंगाई बढ़ती जा रही है, रोजगार खत्म होता जा रहा है। इस पर सभी को गंभीररता से विचार करना चाहिए एवं आजादी के दीवानों के सपनों कर भारत बनाने की दिशा में राजनीति से दूर हटकर माफिया मुक्त लोकतंत्र की संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। स्वतंत्रता की आन-बान सभी शान का वास्तविक स्वरूप तभी उजागर हो सकेगा।