आज देश में एक हजार से ज्यादा एग्रीटेक स्टार्टअप काम कर रहे हैं। इनमें से लगभग 160 में फंडिंग हुई है। नैसकॉम की रिपोर्ट के अनुसार 2019 के पहले छह महीनों में इन स्टार्टअप में 17 अरब रुपयों से ज्यादा का निवेश हुआ है। यह पिछले साल की तुलना में 300 फीसदी ज्यादा है। बाजार से जुड़ना, कृषि उपज और उत्पादों की डिजिटल मौजूदगी ने इसे आगे बढ़ाया है। एक शोध के अनुसार दुनिया में हर नौवां एग्रीटेक स्टार्टअप भारत में शुरू हो रहा है। तकनीकी क्षेत्र की कंपनियां नए बिजनेज मॉडल के साथ इसमें आ रही हैं।
बेहतर हैं हालात
कई स्टार्टअप ऐसे हैं, जो इमेजरी टेक्नीक के जरिये किसानों को मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में बता रहे हैं। इससे किसानों को मिट्टी के अनुसार सही फर्टिलाइजर और बीजों के इस्तेमाल में मदद मिली है। स्टार्टअप श्आरोग्यम मेडिकोजश् ने मिट्टी और पानी को जांचने के लिए आईओटी टेक्नोलॉजी से युक्त एक उपकरण बनाया है। कई स्टार्टअप किसानों को संक्रमण, जलवायु के बारे में बताने के साथ पानी की उपलब्धता, उसके छिड़काव के सिस्टम मुहैया कराने के काम से जुड़े हैं। पुणे के स्टार्टअप श्बायोप्राइम एग्री सॉल्यूशनश् ने पौधों की स्वस्थ व तीव्र पैदावार के लिए कई प्रोडक्ट विकसित किए हैं। उनके ये उत्पाद फसलों को बाहरी असर से सुरक्षा देकर पैदावार पढ़ाने में मदद करते हैं। ग्रामोफोन नाम का स्टार्टअप कुछ इसी काम से जुड़ा है, जो किसानों को टोलफ्री नंबर के जरिये कृषि से जुड़ी जानकारी दे रहा है।
कानपुर के एक स्टार्टअप श्क्रिट्सनम टेक्नोलॉजीश् ने फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए ऐसा प्रोडक्ट तैयार किया है, जो सही समय पर सही मात्रा में फसलों तक पानी पहुंचाता है। किसानों की कर्ज की समस्याओं को सुलझाने के लिए कई वित्तीय सहायता मुहैया कराने वाले संस्थान भी आगे आए हैं। सरकार अपने स्तर पर किसानों की वित्तीय स्थिति सुधारने में मदद कर रही है। जैसे स्टार्टअप श्एग्रीबोलोश् पार्टनरशिप बिजनेस मॉडल को किसानी में लाए। इनके किसान सेवा केन्द्र बैंक और वित्तीय संस्थानों से मिलकर किसानों को कम ब्याज दर में वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराते हैं। यही नहीं, यह सेक्टर औसतन 25 फीसदी की दर से बढ़ रहा है।
कृषि क्षेत्र का डिजिटलीकरण होना इसकी एक बड़ी वजह बताई जाती है। इसी तरह नोएडा स्थित स्टार्टअप श्ईएम3श् किसान समुदाय को उच्च गुणवत्ता के उपकरण और मशीने किराये पर देते हैं, जिन्हें ऑनलाइन या फोन के जरिये बुक किया जा सकता है। इसी तरह स्टार्टअप गोल्ड फार्म की सेवाएं हैं। ये सभी एग्रीटेक स्टार्टअप किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद कर रहे हैं, बेहतर वितरण प्रणाली दे रहे हैं और बिचैलिये कम कर उनकी आमदनी में इजाफा कर रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि कृषि में आज करियर की अच्छी संभावनाएं मौजूद हैं।
नई सोच से बदलते हालात
इनोवेशन के चलते यह क्षेत्र बदलाव के दौर में है। सरकार की ओर से फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में ध्यान दिये जाने से किसानों की कृषि उपज की मांग संगठित क्षेत्र में बढ़ी है। मेगा फूड पार्क को मंजूरी दिए जाने से कृषि क्षेत्र मजबूत हुआ है। जैसे-जैसे स्थानीय किसान एग्रीटेक स्टार्टअप के बेहतर समाधानों के साथ जुड़े हैं, वैसे-वैसे बिजनेस के तमाम प्रारूपों को बढ़ावा मिला है। इससे बाजार पर बेहतर पकड़ बनी है, तकनीक का तेजी से उपयोग बढ़ा है। एक अनुमान है कि 2020 तक एग्रीटेक सेक्टर इनोवेशन के केन्द्र में होगा। इससे देश में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
पढ़ाई के अवसर
कृषि व्यवसाय में अलग-अलग स्तर पर मौके हैं। यानी फाइनेंस, तकनीक व गैर-तकनीकी क्षेत्रों के इच्छुक युवाओं के लिए मौके बन सकते हैं। हालांकि कृषि के विशेष अध्ययन से इस क्षेत्र को करीब से जानने का मौका मिलता है और प्रवेश करना आसान होता है। इसमें मदद करने के लिए कई संस्थानों में एग्रीबिजनेस विषय पर पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स कराये जाते हैं। कोर्स के दौरान एग्रो इंडस्ट्री में इंटर्नशिप करने के मौके मिलते हैं और कैंपस प्लेसमेंट की सुविधा भी।
प्रमुख संस्थान
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
चंद्रशेखर आजाद यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नोलॉजी, उत्तर प्रदेश
गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर, उत्तराखंड
राजेन्द्र एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, पूसा, बिहार
आईसीएआर-नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च मैनेजमेंट (नार्म), हैदराबाद
क्या हो क्षमताएं
कृषि और विभिन्न तैयार फूड प्रोडक्ट्स में दिलचस्पी
ग्रामीण इलाकों में स्थापित प्रोसेसिंग यूनिट्स में काम करने की इच्छा
अंतरराष्ट्रीय बाजार में एग्रो प्रोडक्ट्स की मांग और पूर्ति पर नजर
कॉन्ट्रैक्ट खेती के लिए बड़े किसानों को समझाने की काबिलियत
तर्कसंगत सोच और नेतृत्व की क्षमता
संवाद कौशल
धैर्यवान व्यक्तित्व तथा टीमवर्क में आस्था
स्टार्टअप से पाई जिन्होंने सफलता
बढ़ रहा है जैविक खेती का चलन
युवा वैज्ञानिक समर्थ जैन ने विदेश की शानदार नौकरी छोड़ कर श्वैदिक वाटिकाश् स्टार्टअप शुरू किया। वह नैनोटेक्नोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएट हैं, पर खेती-किसानी में रुचि होने की वजह से उन्होंने अपनी शोध-रुचियों को जैविक खेती की ओर मोड़ा। छत्तीसगढ़ में जशपुर नगर स्थित अपनी पैतृक जमीन पर उपलब्ध संसाधनों से ही शानदार फसल उगाकर दिखाई, ताकि स्थानीय किसान का शहरों की तरफ पलायन रुके और जैविक का रुझान किसानों में बढ़े। अब जैविक उत्पादों का एक बड़ा बाजार है।
छोटे किसानों की बढ़ाई आमदनी
चार्टर्ड अकाउंटेंट सत्य रघु पीडब्लूसी में शानदार नौकरी होने के बावजूद खुश नहीं थे। साल 2015 में अपने साथियों सौम्या, आयुष और कौशिक के साथ मिल कर स्टार्टअप श्खेतीश् शुरू किया, जो देश के छोटे किसानों को अपने प्रोडक्ट श्ग्रीनहाउस-इन-ए-बॉक्सश् के जरिये बेहतर उपज पाने में मदद कर रहा है। उनका यह प्रोडक्ट पानी की बचत के साथ वातावरण के तापमान को नियंत्रित करता है। इस तरह किसानों को जलवायु परिवर्तन के असर से अपनी खेती को बेअसर रखना सिखा रहे हैं।
क्या हो क्षमताएं
कृषि और विभिन्न तैयार फूड प्रोडक्ट्स में दिलचस्पी
ग्रामीण इलाकों में स्थापित प्रोसेसिंग यूनिट्स में काम करने की इच्छा
अंतरराष्ट्रीय बाजार में एग्रो प्रोडक्ट्स की मांग और पूर्ति पर नजर
कॉन्ट्रैक्ट खेती के लिए बड़े किसानों को समझाने की काबिलियत
तर्कसंगत सोच और नेतृत्व की क्षमता
संवाद कौशल
धैर्यवान व्यक्तित्व तथा टीमवर्क में आस्था
कई स्तर पर हैं काम
विश्वजीत सिन्हा ने अपने स्टार्टअप श्ऑक्सेन फार्म सॉल्यूशनश् से कृषि से जुड़ी कई समस्याओं को सुलझाने की कोशिश की। वह किसानों को भूमि तैयार करने, फसल लगाने और दूसरे प्रबंधन को देखने के लिए उन्नत उपकरण किराये पर देते हैं। इससे श्रम का खर्चकम करने में कईकिसानों को काफी मदद मिली है। साथ में उन्होंने तकनीक से युक्त ऐसी सप्लाई चेन विकसित की है, जिससे किसानों के ताजे फल और सब्जियां शहरी खुदरा व्यापारियों तक सीधे पहुंचाई जा ’रही हैं। देश के कई राज्यों में उनकी ये सेवाएं उपलब्ध हैं। इस तरह उनके स्टार्टअप ने किसानी के इस पहलू पर काम करने की जरूरत की ओर ध्यान दिलाया है।