17 Nov भारत को जब आजादी मिली, तब गांधीजी के अलावा कोई सर्वमान्य नेता नहीं था। ऐसे में गांधीजी ने जवाहरलाल नेहरू को आगे बढ़ाया। मगर तब सरदार वल्लभ भाई पटेल और डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे दिग्गज नेता भी थे, जो निर्णय क्षमता, दृढ़ता, ईमानदारी सहित अन्य मानवीय गुणों में नेहरू से इक्कीस ही थे।
बंटवारे के ठीक बाद जब हिंदू, मुस्लिम और सिखों के बीच कत्लेआम मचा तो इन नेताओं में कई मुद्दों पर मतभेद खुलकर सामने आ गए। ऐसा ही एक वाकया हुआ, जिसमें मतभेद इतना बढ़ा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने नेहरू को चेतावनी देते हुए कहा – ‘आप यह ठीक नहीं कर रहे हैं मिस्टर नेहरू!’
किस्सा कुछ यूं है कि बंटवारे के दौरान पाकिस्तान से घर-बार छोड़कर भागे हिंदुओं और सिखों को वहां के मुसलमान मार-काट रहे थे। इसकी प्रतिक्रिया में भारत में भी दंगे भड़के। तब नेहरू ने प्रस्ताव रखा कि ‘मुसलमानों के लिए दिल्ली के कुछ रिहायशी इलाके आरक्षित कर दिए जाएं। साथ ही उनकी सुरक्षा में मुस्लिम जवान और व्यवस्थाओं के लिए मुस्लिम अधिकारी लगाए जाएं’।
किंतु राजेंद्र बाबू ने तुरंत प्रस्ताव पर गहरी आपत्ति जताते हुए नेहरू को पत्र लिखकर चेतावनी दी कि – ‘यह प्रस्ताव अवांछित है और इसके परिणाम अनापेक्षित होंगे। ऐसा करके आप ठीक नहीं कर रहे हैं क्योंकि इससे दंगे थमेंगे नहीं, बल्कि और बढ़ेंगे।’ नेहरू इस पर कुपित हुए, लेकिन प्रस्ताव रद्द करना पड़ा।