महान राजनीतिज्ञ चाणक्य की मौत के बारे में यह रहस्य जानते हैं आप

asiakhabar.com | November 17, 2017 | 4:11 pm IST

मल्टीमीडिया डेस्क। भारतीय राजनीति में आज भी चाणक्य का नाम पूरे सम्मान के साथ लिया जाता है। उनकी लिखी किताब अर्थशास्त्र और चाणक्य नीति आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी उस समय में थी, जब वे लिखी गई थीं। चाणक्य का जीवन 350 ईसा पूर्व से लेकर 275 ईसा पूर्व तक रहा है। मगर, उनकी मौत क्यों हुई, यह आज भी रहस्य है।

हालांकि, चाणक्य की मौत के बारे में दो कहानियां कही जाती हैं। इन कहानियों में कितनी सच्चाई है, यह तो दावे से नहीं कहा जा सकता है। मगर, विद्वानों का मानना है कि यह दो संभावित कारण रहे हैं, जो चाणक्य की मौत के लिए ठोस वजह बन सकते थे।

ब्राह्मण परिवार में जन्मे चाणक्य का पूरा जीवन रहस्य से घिरा रहा। आज हम आपको बताने जा रहे हैं दो कहानियां, जो संभावित रूप से चाणक्य की मौत के लिए जिम्मेदार माना जाती हैं। जानते हैं इसके बारे में…

पहले मत के अनुसार, चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु के बाद चाणक्य उसके बेटे बिंदुसार की सेवा में लगे रहे क्योंकि वह बिंदुसार के भी करीबी थे। चाणक्य से जलन की वजह से बिदुसारा के मंत्री सुबंधु ने चाणक्य के खिलाफ बिंदुसारा के मन में जहर भरा और बिंदुसार की मां की मौत के लिए चाणक्य पर झूठा आरोप भी लगाया। जब बिन्दुसार ने इस बात पर विश्वास करते हुए चाणक्य के साथ अपने सभी संबंध खत्म कर लिए, तो चाणक्य टूट गया। उसने खुद को भूखा रखकर अपनी जान दे दी। बाद में बिंदुसार की मां के इलाज में लगी एक नर्स दुर्धा ने बिंदुसारा की मां की मृत्यु के पीछे सही कारण उसे बताया, जिसके बाद झूठे अपराध से चाणक्य मुक्त हो सके।

वहीं, दूसरी कहानी के अनुसार, चंद्रगुप्त मौर्य के भोजन में चाणक्य रोज थोड़ा-थोड़ा जहर दिया करते थे। ऐसा वह इसलिए करते थे कि यदि कभी कोई दुश्मन चंद्रगुप्त को जहर देकर मारने की कोशिश करे, तो जहर का उन पर अधिक असर न हो। रोज थोड़ा सा जहर लेने से चंद्रगुप्त का शरीर जहर के लिए पहले से ही तैयार हो गया था।

चाणक्य की इस योजना के बारे में किसी को भी जानकारी नहीं थी।

एक दिन चंद्रगुप्त मौर्य की पत्नी ने गर्भावस्था के दौरान इस जहरीले भोजन को खा लिया था। चाणक्य ने सिंहासन के उत्तराधिकारी बिंदुसार को बचाने के लिए उसकी मां के गर्भ को फाड़ दिया था, जिससे रानी की मौत हो गई थी। चाणक्य की लोकप्रियता से ईर्ष्या रखने वाले धूर्त मंत्री सुबंधु ने इस कहानी को बदलकर बिन्दुसार के मन में चाणक्य के खिलाफ जहर भर दिया। इसकी वजह से बिन्दुसार के मन में चाणक्य के प्रति घृणा भर गई और उसने चाणक्य के साथ संबंध खत्म कर लिए। सुबंधु ने चालाकी से इस मौके का फायदा उठाया और चाणक्य को जिंदा जला दिया।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *