बिना इंटरनेट के भी स्मार्टफोन में दिखेंगे टीवी चैनल

asiakhabar.com | August 8, 2023 | 4:08 pm IST
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-सनत जैन-
केंद्र सरकार कई दशकों बाद बिना सेटलाईट, के‎बिल और इंटरनेट के ‎बिना स्मार्टफोन पर टीवी चैनल लोग देख पाएं, इसके लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय की पहल पर आईआईटी कानपुर ने कार्य शुरू कर दिया है। यह माना जा रहा है, कि जल्द ही ब्रॉडबैंड और ब्रॉडकास्ट का मिश्रण स्मार्ट फोन और स्मार्ट टीवी पर संभव होगा। 2005 से यह तकनीकी दुनिया के कई देशों में सफलतापूर्वक संचालित हो रही है। स्मार्टफोन और घरों में लगी हुई स्मार्ट टीवी, एंड्राइड के माध्यम से संचालित हो रहे हैं। पहले दूरदर्शन की टीवी देखने के लिए एंटीना लगाना पड़ता था। जिसमें टीवी के चैनल जो दूरदर्शन से सेटेलाइट के माध्यम से प्रसारित होते थे। वह छतरी में लगे एंटीना के द्वारा सिग्नल रिसीव कर टीवी के माध्यम से ‎दिखते थे। हर घर में सिग्नल रिसीव करने के लिए छतरी लगी हुई दिखती थी। सरकार ने एक बार फिर पुरानी तकनीकी का सम्मिश्रण करने की पहल की है। इसमें टेलीविजन चैनल,जो सेटेलाइट नेटवर्क पर आधारित हैं। उनके सिग्नल अब एंड्राइड टीवी और एंड्रॉयड स्मार्टफोन पर रिसीव करके चैनल दिखाने की व्यवस्था सरकार करने जा रही है। डायरेक्ट टू मोबाइल यानी डी 2 एम तकनीकी से स्मार्टफोन और स्मार्ट टीवी में चैनल देखना संभव होगा। आईआईटी कानपुर ने देश में इस सेवा को शुरू करने के लिए एक श्वेत पत्र जारी किया है। जिसमें कहा गया है, कि प्रसारणकर्ता डी 2 एम नेटवर्क के ऐप से क्षेत्रीय टेलीविजन, रेडियो, क्षेत्रीय कंटेंट, इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम, आपदा से जुड़ी सूचनायें, रे‎डियो ‎सिग्नल ऐप की सुविधा उपलब्ध होगी। बिना इंटरनेट की सहायता से डी 2एम ऐप के माध्यम से कम दाम पर यह सुविधाएं,आम आदमी को उपलब्ध कराने की दिशा में सरकार प्रयास कर रही है।
केंद्र सरकार जो नवीन तकनीकी लाने का ‎निर्णय ‎लिया है। वह ब्रॉडबैंड और ब्रॉडकास्ट का मिश्रण होगा। स्मार्टफोन और स्मार्ट टीवी में लगे रिसीवर, रेडियो फ्रिकवेंसी को पकड़ेगा। इसके लिए सरकार 526-582 मेगा हर्ट्ज बैंड पर सेवाएं शुरू करने की तैयारी कर रही है। इसमें रेडियो के सिंग्नल का उपयोग किया जाएगा। इस बेंडविथ का उपयोग अभी रेडियो ट्रांसमीशन के लिए होता है। भारत में इस समय 22 करोड परिवारों के पास स्मार्ट टीवी है। इसी तरह लगभग 80 करोड लोगों के पास स्मार्टफोन उपलब्ध हैं। टेलीविजन चैनल प्रसारण के अभी कई माध्यम हैं। टीवी चैनल को सैटेलाइट नेटवर्क, अलग-अलग कंपनियों की ब्रॉडबैंड, इन्टरनेट सेवा और केबल का सहारा लेना पड़ता है। केबिल ऑपरेटर इसका विरोध कर रहे हैं। मोबाइल ऑपरेटर देश में लाखों की संख्या में है। इनमें करोड़ों लोग काम करते हैं। उनका धंधा बंद हो जाएगा। वहीं टेलीविजन चैनलों को उपभोक्ता तक पहुंचने के लिए अभी कई माध्यमों का इस्तेमाल करना पड़ता है। दक्षिण कोरिया और हांगकांग में यह तकनीकी 2005 से काम कर रही है। वहां पर इसे मोबाइल टेलीविजन भी कहा जाता है। सरकार का मानना है, कि 100 करोड स्मार्ट टीवी और स्मार्ट मोबाइल फोन तक ऐप के माध्यम से भारत में डी 2एम तकनीकी का उपयोग कर शैक्षणिक कंटेंट, अति आवश्यक सूचनाएं, आपदा से जुड़ी हुई जानकारियां, वीडियो, रेडियो के अलावा डाटा से चलने वाले ऐप की सुविधा लोगों को सस्ते दाम पर बिना इंटरनेट के मिलना शुरू हो जाएगी। दूरदराज के क्षेत्र में भी जहां अभी तक इंटरनेट नहीं पहुंच पाया है। वहां के उपभोक्ताओं को भी समान अवसर प्राप्त होंगे। इसके लिए मेगाहर्टज बैंड पर संचालित होने वाली, यह तकनीकी काफी कारगर साबित होगी। सरकार जो भी काम करती है। उसमें एकाधिकार कायम करने की कोशिश होती है। जिस ऐप के माध्यम से यह सेवाएं चलाई जाएंगी। उनकी दरें तय करना और उनकी सेवाएं बेहतर तरीके से लोगों तक पहुंचे। इसके लिए सरकार को कठोर नियम बनाने की जरूरत होगी। सभी जगह सिग्नल प्राप्त हों, इसके लिए उपकरण लगाने होंगे। अभी जो मी स्मार्टफोन हैं, उनमें सिगनल्स नहीं मिलते हैं। कंपनियां दावा करती हैं, कि उनका नेटवर्क सारे देश में है। हर राज्य में है। लेकिन सिग्नल की समस्या हमेशा बनी रहती है। दक्षिण कोरिया,हांगकांग ओर जर्मनी मे यह सेवाएं निर्बाध रूप से सफल हैं। सरकार मोबाइल फोन और स्मार्ट टीवी पर जो सेवाएं शुरू करने की तैयारी कर रही है। इसमें कंपनियों की जिम्मेदारी भी तय करने की जरूरत है। विशेष रूप से सिग्नल्स हर जगह पर और एक निश्चित बैंडविथ पर सतत् सेवाएं उपलब्ध हों। तभी यह प्रयास सार्थक माना जाएगा। सरकार को उपभोक्ताओं के हितों का भी ध्यान रखना चाहिए। मल्टीनेशनल कंपनियों से अपने हक अधिकार के लिए लड़ पाना आम उपभोक्ता के लिए भारत में आसान नहीं है। उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी और ठगी की जाती है। उसकी शिकायत करने में उपभोक्ताओं को वर्षों तक न्याय नहीं मिलता है। उल्टे मुकदमे बाजी में लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। उपभोक्ता को बेहत र सेवाएं ‎मिलें। सरकार को इस दिशा में ठोस प्रयास करने चाहिए।


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