17 Nov दूसरों की ज़िंदगियों में क्या अच्छा, क्या बुरा हो रहा है? वो किस तरह से जी रहे हैं, यह जानने की उत्सुकता हमेशा से ही मानवीय स्वभाव का हिस्सा रही हैं। इसी पर आधारित है ‘तुम्हारी सुलू’। मुंबई के किसी सुदूर नगर में एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में रहने वाली सुलू हमेशा ही सपने देखती है। वो कहीं न कहीं अपनी ज़िंदगी में एक मुकाम हासिल करना चाहती है। वो अपने बेटे के स्कूल की नींबू रेस हो या म्यूजिकल चेयर कॉम्पटीशन..उसमें भी नंबर वन आना चाहती है। लेकिन, हालात ऐसे होते हैं कि वो लाइफ में कुछ कर नहीं पाती।
ऐसे में एक दिन उसको रेडियो जॉकी बनने का मौका मिलता है और उस मौके को सुलू किस तरह से भुनाती है और उस मौके का असर उसकी ज़िंदगी पर क्या होता है? इसी ताने-बाने पर बुनी गयी है फ़िल्म – तुम्हारी सुलू। फ़िल्म के डायरेक्टर सुरेश त्रिवेणी ने कोशिश बहुत ही अच्छी की थी इस खूबसूरत से सब्जेक्ट पर फ़िल्म बनाने की। लेकिन, ‘तुम्हारी सुलू’ कोई महान फ़िल्म नहीं है। यह एक बहुत ही साधारण फ़िल्म है। इस कहानी में बहुत सारी संभावनाएं थीं, जिसको लेकर डायरेक्टर चूक गए हैं।
फ़िल्म का पहला हॉफ बहुत स्लो है, इसमें और सारी घटनाएं डाली जा सकती थीं। सेकण्ड हाफ में एक थ्रिल पैदा करने के लिए कुछ अनावश्यक एलिमेंट जोड़े गए हैं। फिर भी अगर हम देखें तो इस सप्ताह की पिक्चर ऑफ़ द वीक ‘तुम्हारी सुलू’ ही है।
परफॉर्मेंस लेवल पर अगर मैं बात करूं तो विद्या बालन बहुत ही नेचुरली और नैसर्गिक रूप से अपने आपको सुलू के रूप में ढाल लेती हैं। सुलू के रूप में विद्या बालन लगातार छाई रहीं हैं। उनके पति का किरदार निभाने वाले मानव कौल ने बहुत ही शानदार परफॉर्मेंस दिया है। नेहा धूपिया भी फ़िल्म में दिखीं, उनको देखना सुखद रहा। विजय मौर्य ने एक कवि के रूप में शानदार परफॉर्मेंस दिया है।
इन सबके अलावा फ़िल्म के कुछेक गाने अच्छे बन पड़े हैं, जो काफी पसंद किये जा रहे हैं! कुल मिलाकर ‘तुम्हारी सुलू’ एक साधारण सी फ़िल्म है जिसे आप एक बार देख सकते हैं और अगर आप छोड़ना भी चाहें तो आप बहुत ज्यादा कुछ खोने नहीं जा रहे हैं।