डॉ मनोज रस्तोगी
मुरादाबाद। प्रख्यात साहित्यकार स्मृतिशेष दिग्गज मुरादाबादी की पुण्यतिथि पर साहित्यिक मुरादाबाद की ओर से तीन दिवसीय ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया । उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर साहित्यकारों ने कहा कि दिग्गज मुरादाबादी बाल मन के चितेरे थे । बाल साहित्य के अतिरिक्त भक्ति साहित्य में भी उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। मुरादाबाद के साहित्यिक आलोक स्तम्भ की 23 वीं कड़ी के तहत आयोजित कार्यक्रम के संयोजक वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार डॉ मनोज रस्तोगी ने कहा कि 5 जनवरी 1930 को जन्में प्रकाश चंद्र सक्सेना ’दिग्गज मुरादाबादी’ की साहित्य यात्रा शायर अब्र अहसनी गुन्नौरी के संरक्षण में ग़ज़ल और नज़्म लेखन से शुरू हुई। उन्होंने अनेक गीत भी लिखे लेकिन उन्हें ख्याति बाल साहित्यकार के रूप में मिली। जीवन के अंतिम दशक में उनका रुझान अध्यात्म की ओर हो गया और वह भक्ति साहित्य लेखन की ओर अग्रसर हो गए। उनकी दो काव्य कृतियां ’सीता का अंतर्द्वंद’ और ’श्री करवाचौथ की व्रत कथा’ प्रकाशित हो चुकी हैं। उनका निधन 21 जुलाई 2009 को हुआ ।प्रख्यात बाल साहित्यकार राजीव सक्सेना ने कहा दिग्गज मुरादाबादी को न केवल बाल मनोविज्ञान की गहरी समझ थी बल्कि उनके मनोजगत या कल्पना जगत में भी गहरी पैठ थी। उनकी बाल कविताएं बाल मनोभावों और संवेदना की अभिव्यक्ति के साथ-साथ चित्रात्मकता की दृष्टि से भी अद्भुत हैं । रामपुर के साहित्यकार रवि प्रकाश ने कहा दिग्गज जी एक ऐसे रचनाकार थे जिन्होंने एक और बाल गीत लिखे, सामाजिक जागृति को आधार मानकर गीत लिखे वहीं दूसरी ओर अपनी संस्कृति की पहचान को हृदय में स्थान देते हुए करवा चौथ की व्रत कथा को हिंदी खड़ी बोली में आम जनता के लिए प्रस्तुत भी किया। अशोक विश्नोई ने कहा वह मुरादाबाद के बाल रचनाकारों में सर्वश्रेष्ठ माने जाते थे वह छंद शास्त्र के ज्ञाता थे।आगरा के साहित्यकार एटी जाकिर ने कहा दिग्गज जी उच्च कोटि के नज्मकार थे उनकी एक नज्म ’एक थी झांसी वाली पर यह झांसे वाली रानी है’ बहुत प्रसिद्ध हुई थी। डॉ प्रेमवती उपाध्याय ने कहा वह एक निर्भीक निडर और स्वाभिमानी कलमकार थे। मुंबई के साहित्यकार प्रदीप गुप्ता ने कहा उनकी रचनाएं बालमन को छू लेने में सक्षम थी।
रामपुर के साहित्यकार जितेंद्र कमल आनंद ने कहा वह रामपुर की आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्य धारा के संस्थापकों में एक थे,जो वर्तमान में भी संचालित हो रही है । डॉ मोहम्मद आसिफ ने उनकी उर्दू रचनाओं को देवनागरी लिपि में प्रस्तुत किया। डॉ मक्खन मुरादाबादी ने कहा वह अपनी कविताओं और पढ़ने के लहजे से वास्तव में दिग्गज थे। स्वदेश भटनागर ने कहा वे शब्द शिल्पी ही नहीं एक भाव शिल्पी की तरह जीवन की संवेदनाओं के मर्म स्थल तक पहुंचकर अपने वाक्य विन्यास गढ़ते थे। श्री कृष्ण शुक्ल ने कहा बाल साहित्य के अतिरिक्त उनकी रचनाएं जहां भक्ति रस से ओतप्रोत हैं वहीं श्रंगार, अंतर्द्वंद, पीड़ा और सामाजिक विषमताओं पर भी उनकी लेखनी चली है। उदय प्रकाश सक्सेना उदय ने कहा उनकी रचनाओं में सीधी सरल भाषा में हास्य व्यंग्य का समावेश होता था जो अन्यत्र देखने को नहीं मिलता।अशोक विद्रोही ने उनके अप्रकाशित साहित्य को पाठकों के समक्ष लाने की आवश्यकता पर बल दिया। मीनाक्षी ठाकुर ने कहा दिग्गज जी ने अपनी बाल रचनाओं में बालकों के मन में उतर कर उनके भीतर छिपे भावों को कागज पर बहुत सादगी से उकेरा है। दुष्यंत बाबा ने कहा उनकी साहित्य साधना में लेखन के कई पड़ाव दिखाई पड़ते हैं उन्होंने बाल कविताएं लिखी, गीत गजल नज्में लिखी और अध्यात्म दर्शन से ओतप्रोत रचनाएं भी लिखीं।
राजीव प्रखर ने कहा कीर्तिशेष दिग्गज जी की बाल कविताएं बचपन को खंगालने की अद्भुत क्षमता से ओतप्रोत हैं। मीनाक्षी वर्मा ने कहा उनकी आध्यात्मिक रचनाएं मन और आत्मा को तृप्त कर देने वाली हैं। राशिद हुसैन ने कहा उन्होंने बड़ी सरल सहज भाषा में बच्चों को जानकारी देने वाली रचनाएं लिखी है।
कार्यक्रम में दयानंद आर्य महाविद्यालय के प्रबंधक उमाकांत गुप्ता, राम किशोर वर्मा, धन सिंह धनेंद्र, मुजाहिद चौधरी, डॉ प्रीति हुंकार, डॉ कृष्ण कुमार नाज, मनोरमा शर्मा, नकुल त्यागी, सुभाष रावत राहत बरेलवी, शिव कुमार चंदन, डॉ इंदिरा रानी और सरिता लाल आदि ने हिस्सा लिया । आभार निधि सक्सेना,विधि सक्सेना और सोनिया सक्सेना ने व्यक्त किया।