सुनील चौरसिया ‘सावन’
आका जनजाति के लोग पश्चिम कमिंग जिला की टेंगा घाटी में भी निवास करते हैं जिनके बच्चे हमारे केंद्रीय विद्यालय में पढ़ते हैं जो पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ पाठ्य सहगामी क्रिया कलाप में भी बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। यह कलाप्रेमी होते हैं। गीत संगीत के साथ-साथ फुटबॉल, वॉलीबॉल, टेबल टेनिस और क्रिकेट खेलना भी इन्हें बेहद पसंद है।
आका जनजाति को ‘उड्सो आका’ जनजाति भी कहते हैं। ‘‘आका’ असमिया भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘चेहरे को रंगना’। आका जनजाति के लोग अरुणाचल के पश्चिमी कामेंग जिले में निवास करते हैं और स्वयं को हृसों कहते हैं। इस समुदाय के स्त्री -पुरुष अपने चेहरे को रंगते हैं। यह समुदाय ग्यारह वंशों में विभक्त है जिनमें ‘कुत्सुन’ और ‘कोवात्सुन’ प्रमुख हैं। इनके पड़ोस में शेरदुक्पेन, बैंगनी और मीजी जनजातियाँ निवास करती हैं। इसलिए इनकी जीवन शैली पर पड़ोसी जनजातियों का बहुत प्रभाव है। देशांतरगमन के संबंध में इस समुदाय में अनेक आख्यान प्रचलित हैं। इनकी मान्यता है कि इनके पूर्वज मैदानी क्षेत्र में रहते थे। बाद में इनके पूर्वजों को कृष्ण-बलराम ने अलगा दिया था। इनका शारीरिक गठन मंगोल मूल का है। औसत ऊंचाई पाँच फीट चार इंच होती है तथा महिलाओं की औसत ऊंचाई पाँच फीट होती है। अन्य जनजातियों की ही तरह इनके घर बांस और लकड़ी के बने होते हैं और जमीन से छह फीट ऊपर लकड़ी और बांस के खंभों पर स्थित होते हैं। फर्श के नीचे घरेलू जानवरों को रखा जाता है। घर से कुछ दूरी पर धान्यागार होते हैं जिसे ‘नेची’ कहा जाता है। इस समुदाय में एकल परिवार की प्रथा है। परिवार में माता-पिता तथा उनके अविवाहित बच्चे रहते हैं। विवाह के बाद बच्चे परिवार से अलग अपनी गृहस्थी बसाते हैं। गांवों की प्रशासनिक व्यवस्था की देखभाल के लिए एक ग्राम परिषद होती है। ग्राम परिषद का प्रधान ‘गाँव बूढ़ा’ कहलाता है। उसकी सहायता करने के लिए ‘बोढ़ा’ और ‘गिब्बा’ होते हैं। ‘बोढ़ा’ ‘गाँव बूढ़ा’ के लिए सूचना अधिकारी का कार्य करता है। वह गाँव बूढ़ा को गाँव में घटित सभी घटनाओं और मामलों की सूचना देता है। ‘गिब्बा’ गाँव की शांति-व्यवस्था पर नजर रखने के अतिरिक्त ग्रामवासियों की दैनिक गतिविधियों पर भी नियंत्रण रखता है। ग्राम परिषद पारंपरिक रीति -रिवाजों के आधार पर गाँव के सभी विवादों को निपटारा करती हैं।
आका जनजाति के लोग भूत प्रेत में विश्वास रखते हैं। इनका प्रमुख त्यौहार ‘नेचिदो’ है। यह फसल से संबंधित त्यौहार है। घर में सुख, शांति एवं समृद्धि के लिए लोग इस त्यौहार को बड़ी धूमधाम से एवं श्रद्धा भाव से मनाते हैं।