हरी राम यादव
चंद्रयान उड़ चला धरा से,
अपने चंदा मामा के गांव।
खेलेगा कूदेगा, खुश होगा।
मामा के घर प्यारी छांव।
मामा के घर प्यारी छांव,
पांव पांव दौड़ेगा मिट्टी में।
राख, धूल, कण खोजेगा,
मामा के घर की पट्टी में।
घर लौटते नाना नानी से,
लेकर आयेगा ढेरों उपहार।
वैज्ञानिक करके विश्लेषण,
करेंगे नया नया आविष्कार।।