हरी राम यादव
बह रही नित खून की धारा,
राजनीति ने बना दिया बेचारा।
गोली गोलों से घायल दीवारें,
लहूलुहान बखरी ओसारें ।
चल रहे हैं बम, लाठी डंडे,
जनता को मार रहे मुस्टंडे ।
नफरत में जल रहे प्रदेश,
जिम्मेदार धारे मौनी वेष।
नेता बोलें नित नफरत बानी,
गढ़े रोज नयी नयी कहानी।
करते केवल अपना उल्लू सीधा,
जनता को समझें दर्शक दीर्घा।
प्यारे समझो इनकी चाल,
यह बरगलायें ओढ़े खाल।
यह केवल अपना करें विकास ,
देश ले चाहे लंबी-लंबी सांस ।।