साइबर वार बना रूस का हथियार, जनमत संग्रह प्रभावित करने का प्रयास

asiakhabar.com | November 16, 2017 | 3:21 pm IST

16 नवंबर, नई दिल्ली। 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के पीछे रूस का हाथ माना गया। अब ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग की ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रूस ने ब्रेक्जिट के लिए 23 जून, 2016 को हुए जनमत संग्रह को भी प्रभावित करने की कोशिश की।

इसके लिए रूस ने सोशल मीडिया के जरिये लोगों के विचार बदले और उनमें मतभेद उत्पन्न किए। अमेरिका और ब्रिटेन के अलावा भी रूस पर सोशल मीडिया के जरिये फ्रांस, नीदरलैंड, इटली, स्पेन जैसे संपन्न देशों की राजनीति प्रभावित करने के आरोप लगे हैं।

फर्जी अकाउंट की पहचान-

शोध में ब्रिटेन की राजनीति को प्रभावित करने के लिए बनाए गए 419 फर्जी ट्विटर अकाउंट की पहचान की गई। इनसे ब्रेक्जिट के प्रति लोगों का नजरिया बदलने के लिए 3,468 बार ट्वीट किए गए।

ट्विटर ने ऐसे कुल 2,752 अकाउंट अमेरिका में बंद किए थे। उनमें पहचाने गए अकाउंट का संचालन रूस के सेंट पीटर्सबर्ग स्थित इंटरनेट रिसर्च एजेंसी (आईआरए) से होने के भी सुबूत मिले।

जनमत को प्रभावित-

आईआरए दुनियाभर के अखबारों की वेबसाइट, फेसबुक, ट्विटर समेत अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्म पर सैकड़ों फर्जी अकाउंट के जरिये रूस के पक्ष में फर्जी खबरें और वीडियो पोस्ट करती है। 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान हुए ट्वीट के पीछे भी उसी का हाथ होने का दावा है।

पोस्ट होती हैं फर्जी खबरें-

इस साल 22 मार्च को लंदन के वेस्टमिंस्टर में हुए आतंकी हमले के बाद भी ट्विटर पर ट्वीट की गई एक तस्वीर में मुस्लिम महिला को सड़क किनारे पड़े घायल के पास से मोबाइल चलाते हुए निकलता हुआ दिखाया गया था। लिखा गया कि ‘महिला मदद की बजाय मोबाइल चलाकर निकल गई’।

यह खबर के रूप में बड़े ब्रिटिश अखबारों में प्रकाशित हुई। इससे सामुदायिक मतभेद उत्पन्न हुए।

हित साधने का हथकंडा-

फ्रांस: इस साल फ्रांसीसी राष्ट्रपति चुनाव जीतने पर इमैनुएल मैक्रोन के वित्तीय और निजी जीवन के बारे में रूसी मीडिया ने अफवाह फैलाई। उनके चुनावी प्रचार में लगे कंप्यूटरों हैक किए।

नीदरलैंड: रूस ने देश के सौ प्रभावशाली लोगों के ईमेल अकाउंट हैक करने की कोशिश की। इस साल मार्च में संसदीय चुनाव में भी रूसी हैकिंग के डर से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल नहीं हुआ।

पिछले साल यूरोपीय संघ और यूक्रेन के बीच व्यावसायिक डील टालने के लिए लोगों को जनमत संग्रह के लिए उकसाया गया।

स्पेन: ट्विटर और फेसबुक के जरिये लोगों को कैटेलोनिया की आजादी के लिए भड़काने का आरोप है। इस मुद्दे को बढ़ावा देने वाले 50 फीसद से अधिक अकाउंट रूसी हैं।

जर्मनी: 2015 में यहां की संसद के कंप्यूटरों को चार दिन तक साइबर हमले के जरिये प्रभावित किया। राजनीतिक दलों के प्रचार को हैक किया। वेबसाइट पर फर्जी खबरें प्रकाशित की।

इटली: 2016 में रूस पर इटली के विदेश मंत्रालय की ईमेल प्रणाली को चार महीने तक साइबर हमले करने का आरोप है।

लातविया, लिथुआनिया और एस्टोनिया : इस साल अगस्त में लातविया में सैन्य मुद्दों को प्रभावित किया और लिथुआनिया के औचित्य पर सवाल उठाता हुआ प्रचार किया।

स्वीडन, नॉर्वे, डेनमार्क : स्वीडन में शरणार्थियों के संबंध में फर्जी खबरें फैलाई, 2016 में नॉर्वे सरकार के कंप्यूटर हैक किए और डेनमार्क के रक्षा मंत्रालय के कंप्यूटरों पर लगातार साइबर हमले करता है।


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