कोलकाता। पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुए पंचायत चुनावों से संबंधित हिंसा में मरने वालों की संख्या बढ़कर 42 हो गई है। बुधवार को दक्षिण 24 परगना जिले में तीन और लोगों की मौत की पुष्टि हुई।
चुनाव संबंधी हिंसा के केंद्र भांगर में रात भर हुई झड़पों के बीच दो लोगों की मौत हो गई और दो पुलिसकर्मी गोली लगने से घायल हो गए।
गत 8 जून को मतदान की तारीखों की घोषणा के बाद से भांगर में कुल पांच लोग चुनावी हिंसा में मारे गए हैं।
मंगलवार की रात ऑल इंडिया सेक्युलर फ्रंट (एआईएसएफ) के सक्रिय सदस्य राजू मोल्ला और हसन अली की हत्या कर दी गई।
एआईएसएफ नेतृत्व ने स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के मजबूत नेता अराबुल इस्लाम के सहयोगियों पर उस क्षेत्र के अधिकांश ग्राम पंचायत में पार्टी उम्मीदवारों की जीत के बाद बदला लेने के लिए हत्याएं करने का आरोप लगाया।
इस बीच, भांगर में दो राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प झड़प को रोकने के प्रयास में गोली लगने से एक एएसपी और उनके अंगरक्षक सहित दो गंभीर रूप से घायल हो गए।
एएसपी मकसूद हसन का स्थानीय अस्पताल में इलाज चल रहा है।
तीसरी मौत रायदिघी में हुई।
मंगलवार देर रात गंभीर झड़प में घायल तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता बिप्लप मंडल की बुधवार सुबह मौत हो गई।
इससे पहले मंगलवार को राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने भांगर इलाके का दौरा किया था और कहा था कि अधिकारी उन लोगों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे जो इस तरह की हिंसा फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं।
उन्होंने कहा, हिंसा के अपराधी अंततः उस दिन को कोसेंगे जब वे पैदा हुए थे। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता क्योंकि इसका असर आने वाली पीढ़ी पर पड़ेगा।
बाद में शाम को राज्यपाल ने कहा कि उनका दोहरा एजेंडा भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और राज्य में किसी भी चुनाव में रक्तपात की प्रवृत्ति को समाप्त करना होगा।
उन्होंने कहा, “मौजूदा स्थिति में पश्चिम बंगाल में दोहरा एजेंडा होना चाहिए। पहला राजनीतिक हिंसा के ख़िलाफ़ और दूसरा भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़। इन दोनों मुद्दों के ख़िलाफ़ धर्मयुद्ध की शुरुआत का समय आ गया है। इन दोनों खतरों के खिलाफ लड़ाई में सभी को आगे आना चाहिए।”