कोलकाता। विश्वभारती के प्राधिकारियों ने नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन पर परोक्ष निशाना साधते हुए कहा कि यदि ‘‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त’’ कोई शिक्षाविद केंद्रीय विश्वविद्यालय की जमीन पर कब्जा करने के लिए कानून का उल्लंघन करता है, तो विश्वविद्यालय कदम उठाने से हिचकिचाएगा नहीं।
विश्वभारती की प्रवक्ता महुआ बंदोपाध्याय ने सेन का नाम लिए बांग्ला भाषा में जारी एक बयान में कहा कि विश्वविद्यालय जमीन संबंधी मामले पर टिप्पणी नहीं करेगा, क्योंकि यह मामला अदालत में विचाराधीन है। बयान में कहा गया कि प्राधिकारी ‘‘अवैध गतिविधियों और अनुचित कार्यों को’’ रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाना जारी रखेंगे।
सेन इस समय अपने शांतिनिकेतन आवास प्रतीची में रह रहे हैं। उन्होंने बुधवार को मीडिया और छात्रों के एक समूह से बातचीत की थी और इसी दौरान जब किसी ने उनसे ‘‘भूमि विवाद में उन्हें झेलने पड़े अपमान’’ को लेकर सवाल किया, तो अर्थशास्त्री ने कथित रूप से कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि कोई मेरा अपमान कर सकता है, क्योंकि हम जमीन के इस टुकड़े पर 90 साल से रह रहे हैं।’’
विश्वभारती ने बृहस्पतिवार को जारी बयान में इस बातचीत का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘विश्वभारती ने कभी किसी का अपमान नहीं किया और न ही हमारी ऐसी कोई मंशा है, लेकिन हम विदेश में विश्वभारती को बदनाम करके लाभ प्राप्त करने वाले हर व्यक्ति का विरोध करेंगे।’’
केंद्रीय विश्वविद्यालय का दावा है कि सेन ने शांतिनिकेतन परिसर में उसकी 1.38 एकड़ जमीन पर कब्जा किया है, जो उन्हें कानूनी रूप से अधिकृत 1.25 एकड़ भूमि से अधिक है।
अर्थशास्त्री का कहना है कि शांतिनिकेतन परिसर में उनके पास मौजूद अधिकतर जमीन उनके पिता ने बाजार से खरीदी थी, जबकि कुछ अन्य भूखंड पट्टे पर लिए गए थे।
सेन ने विश्वभारती के बेदखली आदेश के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया था।
अदालत ने शांतिनिकेतन में अमृत्य सेन की संपत्ति का एक हिस्सा लेने के केंद्रीय विश्वविद्यालय के कदम पर चार मई को अंतरिम रोक लगा दी थी।
विश्वविख्यात कवि एवं साहित्यकार रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा 1921 में स्थापित विश्वभारती पश्चिम बंगाल का एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय है।