नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) का भारत से बाहर विदेश में पहला परिसर जंजीबार-तंजानिया में स्थापित करने संबंधी समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये जाने का स्वागत किया और इसे उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण की दिशा में ‘ऐतिहासिक शुरूआत’ बताया।
प्रधान ने कहा कि इस कदम से दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूत बनाने और अफ्रीका के लोगों के साथ संबंधों को प्रगाढ़ बनाने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है।
जंजीबार-तंजानिया में आईआईटी मद्रास का परिसर स्थापित करने के लिए भारत के शिक्षा मंत्रालय, आईआईटी मद्रास और तंजानिया के शिक्षा एवं व्यावसायिक प्रशिक्षण मंत्रालय के बीच पांच जुलाई 2023 को एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गये हैं। इस अवसर पर जंजीबार के राष्ट्रपति डॉ. हुसैन अली मिविन्यी और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर मौजूद थे।
शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ज्ञान को द्विपक्षीय संबंधों का महत्वपूर्ण तत्व बनाने एवं वैश्विक अच्छाई का वाहक बनने का मार्ग प्रशस्त कर रही है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही गई है और सुझाव दिया गया है कि उच्च गुणवत्ता का प्रदर्शन करने वाले भारतीय विश्वविद्यालयों को दूसरे देशों में परिसर स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा।
शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, तंजानिया और भारत के बीच सामरिक गठजोड़ को मान्यता देते हुए इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर करके शिक्षा सहयोग के संबंधों को औपचारिक रूप दिया गया है। इसमें जंजीबार-तंजानिया में आईआईटी मद्रास का प्रस्तावित परिसर स्थापित करने को लेकर रूपरेखा प्रदान की गई है जिसमें अक्टूबर 2023 में कार्यक्रम शुरू करने की योजना है।
मंत्रालय के अनुसार, इस अनोखे गठजोड़ से शिक्षा क्षेत्र में शीर्ष रैंकिंग वाले आईआईटी मद्रास का अफ्रीका में प्रवेश होगा जो इस क्षेत्र की वर्तमान जरूरतों को पूरा करेगा। इसके तहत अकादमिक कार्यक्रम, पाठ्यक्रम, छात्रों के चयन से जुड़े आयाम एवं शैक्षणिक विषय का निर्धारण आईआईटी मद्रास के माध्यम से होगा जबकि पूंजी और परिचालन व्यय की पूर्ति जंजीबार-तंजानिया की सरकार करेगी।
शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि इस परिसर में दाखिला लेने वाले छात्रों को आईआईटी मद्रास की डिग्री प्रदान की जायेगी। इसमें भारतीय छात्र भी आवेदन करने के पात्र होंगे। इसमें कहा गया है कि आईआईटी का परिसर स्थापित होने से वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ेगी, राजनयिक संबंध मजबूत होंगे और आईआईटी मद्रास का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार होगा।