कोलकाता। रसगुल्ले पर ओडिशा के साथ लंबी लड़ाई के बाद पश्चिम बंगाल को जीत मिली है। वहीं अब पश्चिम बंगाल के कई और मिठाइयों पर दावा ठोकने की तैयारी शुरू हो गई है। पश्चिम बंगाल सरकार चार बंगाली पारंपरिक मिठाइयों के लिए भौगोलिक पहचान (जीआई) टैग हासिल करने पर विचार कर रही है।
इन मिठाइयों में दक्षिण 24 परगना जिले के जयनगर में धान के लावे से तैयार होने वाला मोआ, नदिया जिले के कृष्णनगर में दूध की क्रीम से तैयार होने वाले सरभाजा सरपुरिया तथा बर्धमान का चावल-बेसन, खोवा व छेना से तैयार होने वाले सीताभोग और मिहीदाना तथा शक्तिगढ़ का खोवा व छेना से तैयार होने वाला लेंचा प्रमुख है।
रसगुल्ले के बाद अब इन मिठाइयों के निर्माता से लेकर मिठाई प्रेमी लोग मांग करने लगे हैं कि इन सभी उत्पादों पर भी दावा ठोककर जीआई टैग लिया जाए ताकि न केवल इन मिठाइयों की नकल पर लगाम लग सके, बल्कि इन्हें भविष्य में निर्यात भी किया जा सके।
जीआई पंजीकरण मिलने से उक्त उत्पाद का ईजाद कहां हुआ है इसका पता चलता है। पश्चिम बंगाल सरकार भी अब इन मिठाइयों को लेकर गंभीर है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शक्तिगढ़ में ममता सरकार ने लेंचा हब तैयार करने की घोषणा पहले से ही कर रखी है।
रसगुल्ले को लेकर फिर से दावा ठोकेगा ओडिशा
रसगुल्ले की भौगोलिक पहचान (जीआई) पश्चिम बंगाल के खाते में चली गई, लेकिन ओडिशा सरकार हार मानने को तैयार नहीं है। ओडिशा सरकार के प्रवक्ता सूर्य नारायण पात्र का कहना है कि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। फिर से हमलोग दावा ठोकेंगे। वहीं ओडिशा भाजपा के नेता सज्जन शर्मा का कहना है कि राज्य सरकार की उदासीनता की वजह से पश्चिम बंगाल को रसगुल्ले का जीआई टैग मिल गया है। पश्चिम बंगाल सरकार अब रसगुल्ले का पेटेंट कराने की तैयारी में है।