रूरल मैनेजमेंट एक यूनिक स्पेशलाइजेशन है जो उभरते प्रोफेशनल्स को भारतीय ग्रामीण परिदृश्य में सुधार तथा चमत्कार लाने के लिए आवश्यक योजनाओं, उससे जुडी रणनीति बनाने,उसको कार्यान्वित तथा मैनेज करने की कला में प्रवीण बनाती है. उभरते प्रोफेशनल्स के करियर ग्रोथ की संभावना इस फील्ड में सर्वाधिक है. क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र अभी इन्फ्रास्ट्रक्चर या अन्य सभी फैसलिटीज के मामलों में पूर्णतः विकसित नहीं है, या यूँ कहें वहां विकास नाम मात्र का है. इन क्षेत्रो को शहर के समान बनाने तथा मेनस्ट्रीम में लाने के लिए बहुत अधिक निवेश की आवश्यकता है. इस सन्दर्भ में भारत सरकार द्वारा इन क्षेत्रों में निवेश को बहुत अधिक बढ़ावा दिया जा रहा है. कई मल्टीनेशनल कम्पनियां,सरकारी संगठन तथा भारतीय कम्पनियां इस फील्ड में प्रवेश कर अत्यधिक लाभ की संभावना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर नजर रख रही हैं. इसलिए, इस क्षेत्र में करियर के विकास की व्यापक संभावनाएं हैं.
रूरल मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स की भूमिका: रूरल मैनेजमेंट का क्षेत्र कुछ ऐसे स्किल्ड प्रोफेशनल्स की मांग करता है जो ग्रामीण भारत में सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के विकास के लिए व्यवस्थित योजना विकसित करने के इच्छुक हों.
रूरल मैनेजमेंट डोमेन में एक विशेषज्ञ के रूप में छात्रों को यहाँ चल रहे कंपनी के प्रोजेक्ट में इस तरह से काम करना होगा कि कंपनी को प्रॉफिट होने के साथ साथ ग्रामीण इलाके की स्थिति में भी पर्याप्त और स्थायी विकास हो. ग्रामीण लोगों के रहन सहन में सुधार का अतिरिक्त लाभ सकल घरेलू उत्पाद में सुधार होता है.
रूरल मैनेजमेंट के क्षेत्र में 4 प्रकार के कोर्सेज उपलब्ध हैं. इन कोर्सेज की अवधि मुख्यतः कोर्सेज के लेवल पर निर्भर करती है. कुछ कोर्सेज का उल्लेख नीचे किया गया है. 10 + 2 करने के बाद रूरल मैनेजमेंट में डिप्लोमा कोर्स किया जा सकता है. इस कोर्स की अवधि आम तौर पर 6 महीने से 1 वर्ष तक की होती है.
रूरल मैनेजमेंट में अंडर ग्रेजुएट कोर्स को रूरल मैनेजमेंट में बीए के नाम से जाना जाता है.आम तौर पर यह कोर्स 3 साल की अवधि का होता है. इसमें एडमिशन के लिए 10+2 पास होना जरुरी होता है. रूरल मैनेजमेंट के क्षेत्र में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री 2 साल की अवधि में प्राप्त की जाती. इस कोर्स को पूरा करने पर रूरल मैनेजमेंट में पीडीजीएम या रूरल मैनेजमेंट में एमबीए की डिग्री प्रदान की जाती है.
डॉक्टोरल कोर्स को सामन्यतः पीएचडी की डिग्री के रूप में जाना जाता है.किसी भी क्षेत्र में पीएचडी की डिग्री को सबसे हाइएस्ट डिग्री के रूप में जाना जाता है. इसे आमतौर पर 3 से 4 साल में पूरा किया जाता है.
रूरल मैनेजमेंट कोर्सेज में एडमिशन कैसे लें?
प्रवेश प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से समझने के बाद रूरल मैनेजमेंट कोर्सेज में प्रवेश की तलाश करना बहुत ही आसान हो सकता है. इस फील्ड में एडमिशन लेने के लिए आपको मुख्य रूप से एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया तथा एंट्रेंस एग्जाम की पूर्ण जानकारी होना आवश्यक है ताकि आप आगे चलकर आप अपने मनपसंद इंस्टीट्यूट या कॉलेज में एडमिशन ले पाएं. नीचे एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया तथा एंट्रेंस एग्जाम के विषय में जरुरी जानकारी प्रदान की गयी है.
एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया- किसी भी एग्जाम को पास करने तथा इंस्टिट्यूट में एडमिशन लेने की पहली शर्त होती है उसकी एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को पूरा करना. किसी भी कोर्स में प्रतिभाशली अभ्यर्थियों के चयन के लिए यह मूलतः स्क्रीनिंग प्रक्रिया हैं. आइये कुछ कोर्सेज में एडमिशन के लिए आवश्यक एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया पर एक नजर डालते हैं.
रूरल मैनेजमेंट में डिप्लोमा एक फाउंडेशन कोर्स है. 10 + 2 कम से कम 50 प्रतिशत एग्रीगेट मार्क्स से पास करने पर इस कोर्स में एडमिशन लिया जा सकता है. किसी भी स्ट्रीम में 10 + 2 कम से कम 50 प्रतिशत एग्रीगेट मार्क्स से पास करने के बाद आप रूरल मैनेजमेंट में बीए कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं. किसी मान्यता प्राप्त इंस्टीट्यूट / कॉलेज से ग्रेजुएशन लेवल पर न्यूनतम 50% एग्रीगेट प्रतिशत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री के लिए आवेदन कर सकते हैं.
रूरल मैनेजमेंट में पीएचडी के लिए, उम्मीदवार के पास एआईसीटीई द्वारा मान्यता प्राप्त इंस्टीट्यूट से रूरल मैनेजमेंट में पोस्टग्रेजुएट डिग्री होनी चाहिए. इसके बाद अभ्यर्थी को एंट्रेंस एग्जाम भी देना होगा. सभी प्रोफेशनल कोर्सेज में एडमिशन एंट्रेंस एग्जाम में आपके द्वारा पाए गए मार्क्स पर ही आधारित होता है. इसलिए आपको सभी एंट्रेंस एग्जाम की पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए ताकि आप सही समय पर तैयारी शुरू कर सकें और परीक्षा में हाई कट ऑफ ला सकें
राज्य बोर्ड रूरल मैनेजमेंट के डिप्लोमा कोर्स में एडमिशन के लिए एंट्रेंस एग्जाम आयोजित करता है. इच्छुक उम्मीदवार कॉमन एंट्रेंस फॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.