नई दिल्ली। बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक रिपोर्ट से भारत का नाम हटाए जाने के बाद केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा बच्चों की बेहतर सुरक्षा के लिए किये गए प्रयासों के परिणामस्वरूप यह संभव हो सका है।
ज्ञात हो कि वर्ष 2010 के बाद से पहली बार संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में भारत का नाम शामिल नहीं किया गया है।
मंत्रालय ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा, ”केंद्र सरकार द्वारा बच्चों की बेहतर सुरक्षा के लिए किये गए प्रयासों के परिणामस्वरूप अब बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर जारी संयुक्त राष्ट्र महासचिव की रिपोर्ट में भारत का नाम हटा दिया गया है।”
इसमें कहा गया कि नवंबर 2021 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव इंदीवर पांडे की विदेश मंत्रालय, न्यूयॉर्क में भारत के स्थायी मिशन व भारत सरकार के गृह मंत्रालय तथा बच्चों के लिए महासचिव की विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गैम्बा और नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों के साथ एक अंतर-मंत्रालयी बैठक हुई।
बयान में कहा गया, ”इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि (एसआरएसजी) के साथ जारी भारत सरकार की गतिविधियों में और तेजी आई थी।”
इसके तहत बच्चों की सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से प्राथमिकता वाले राष्ट्रीय कार्रवाईयों की पहचान करने के लिए एक राष्ट्रीय केंद्र इकाई नियुक्त करने, बाल संरक्षण के लिए बढ़े हुए सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करने के वास्ते संयुक्त राष्ट्र के साथ अंतर-मंत्रालयी और तकनीकी स्तर की बैठकें आयोजित करने के लक्ष्य के साथ संयुक्त तकनीकी मिशन पर एक समझौता किया गया।
बयान में कहा गया कि केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी के मार्गदर्शन और नेतृत्व में उनके मंत्रालय द्वारा बाल संरक्षण के मुद्दों पर सहयोग के लिए एक खाका तैयार किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने पिछले साल अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उन्होंने अपने विशेष प्रतिनिधि के साथ भारत सरकार की भागीदारी का स्वागत किया और कहा कि इससे ‘चिंताजनक स्थिति’ की श्रेणी से भारत को हटाया जा सकता है।
बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर साल 2010 से संयुक्त राष्ट्र महासचिव की रिपोर्ट में भारत का उल्लेख बुर्किना फासो, कैमरून, लेक चाड बेसिन, नाइजीरिया, पाकिस्तान और फिलीपींस तथा अन्य देशों के साथ किया जा रहा था।