अशोक कुमार यादव मुंगेली
सुबह-सुबह प्रतिदिन योग करो।
शरीर स्वस्थ बनाओ निरोग रहो।।
भागमभाग भरा हमारा जीवन है।
अब भूख, गति और नींद कहाँ है।।
आलस्य ने निर्बल बनाया है हमको।
गतिशील हो सबल बनना है सबको।।
ईश्वर के ध्यान से बुद्धि शक्ति बढ़ेगी।
कुण्डली जागृति से ब्रह्म रंध्र खुलेगी।।
मन रूपी चंचल घोड़े को कर काबू।
गृहस्थ सन्यासी मनुष्य में है जादू।।
घोर अंधकार से प्रकाश की ओर चल।
विश्व रक्षक महाशिव उदार हैं प्रबल।।
आत्मा को जोड़ दिव्य परमात्मा से।
ज्ञान हासिल कर योगगुरु महात्मा से।।
कठिन तपस्या से मिला मानव जीवन।
योगाभ्यास से बनालो इसे सुंदर,पावन।।