नई दिल्ली। बिजली की अधिकतम मांग इन गर्मियों में संभवत: 229 गीगावॉट पर नहीं पहुंच पाएगी। उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि बेमौसम बरसात और बिपारजॉय चक्रवात के आगे पड़ने वाले प्रभावों की वजह से बिजली की मांग के इस स्तर पर पहुंचने की संभावना नहीं है।
उद्योग विशेषज्ञों ने कहा कि बेमौसम बारिश ने मांग को प्रभावित किया है और गर्मियों के दौरान तापमान में गिरावट आई है। इसके चलते एयर कंडीशनर जैसे ठंडक प्रदान करने वाले उपकरणों का इस्तेमाल कम हुआ है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) का अनुमान है कि इन गर्मियों में बिजली की अधिकतम मांग 229 गीगावॉट पर पहुंच जाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि बेमौसम बारिश और चक्रवात के प्रभाव के कारण बिजली मांग के इस स्तर पर पहुंचने की उम्मीद नहीं है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने अप्रैल-जून के दौरान बिजली की अधिकतम मांग 229 गीगावॉट पर पहुंचने का अनुमान जताया है। विशेषज्ञों का कहना है कि जुलाई तक पूरे देश में मानसून सक्रिय हो जाएगा और मौसमी बारिश के कारण फिर से बिजली की मांग में कमी आएगी।
अभी तक अधिकतम बिजली की मांग (एक दिन में आपूर्ति की गई बिजली) नौ जून, 2023 को 223.23 गीगावॉट के सर्वकालिक रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंची थी। इसके बाद 10 जून को यह घटकर 219.30 गीगावॉट और 11 जून को 206.66 गीगावॉट पर आ गई। एक दिन में अधिकतम आपूर्ति 12 जून को फिर बढ़कर 218.67 गीगावॉट हो गई, लेकिन 13 जून को यह घटकर 215.35 गीगावॉट और 14 जून को 214.58 गीगावॉट रह गई। 15 जून को अधिकतम बिजली की मांग 210.90 गीगावॉट थी।
हालांकि, बिजली मंत्रालय देश में किसी भी तरह की बिजली की कमी से बचने के लिए कदम उठा रहा है। पहले मंत्रालय ने देश में बिजली की मांग और खपत में किसी भी किसी भी कमी को पूरा करने के लिए सभी आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को 16 मार्च, 2023 से 15 जून, 2023 तक पूरी क्षमता से परिचालन करने को कहा था। अब इस समयसीमा को साढ़े तीन महीने बढ़ाकर 30 सितंबर, 2023 तक कर दिया गया है।
मंत्रालय ने घरेलू कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों को मिश्रण के लिए कोयले का आयात करने के लिए भी कहा था ताकि शुष्क ईंधन की कमी से बचा जा सके।
सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल अप्रैल में अधिकतम बिजली की मांग 215.97 गीगावॉट और मई में 221.34 गीगावॉट थी। बिजली की कमी अप्रैल में सिर्फ 170 मेगावॉट और मई में 23 मेगावॉट थी।