पेरिस: 200 से ज्यादा मस्जिदों में हुई छापामारी में पुलिस को मिले हथियार

asiakhabar.com | November 15, 2017 | 3:43 pm IST

पेरिस। पिछले कुछ वक्त से पश्चिमी देश आंतकवाद का केंद्र बनते दिख रहे हैं। अमेरिका के अलावा फ्रांस, जर्मनी और इंग्लैंड में लगातार आतंकी घटनाएं हो रही हैं।

खासतौर पर दो साल पहले नवंबर में पेरिस में हुए हमले को कौन भूल सकता है। जब 130 लोगों को आंतक की भेंट चढ़ना पड़ा और 350 से ज्यादा लोग इस हमले में घायल हुए। इस आंतकी घटना से पूरी दुनिया सन्न रह गई थी।

इस घटना के बाद फ्रांस ने आंतकियों से बदला लेने की ठानी थी और इसी रणनीति के तहत ही आईएस के ठिकानों पर हवाई हमले किए गए। केवल हवाई हमले ही नहीं इस आंतकी हमले के बाद से ही फ्रांस ने देश की मस्जिदों में छापामारी शुरू कर दी थी।

पेरिस हमले के बाद अब तक 200 से ज्यादा मस्जिदों में छापामार कार्रवाई हुई। इसी दौरान फ्रेंच पुलिस को ऐसा कुछ मिला कि जिसने उसके होश उड़ा दिए।

मस्जिद में मिले हथियार-

एक मस्जिद की तलाशी के दौरान पुलिस को AK-47 रायफल की गोलियों के साछ ही आईएसआईएस से जुड़े प्रोपेगेंडा वीडियो भी मिले। इस दस्तावेज में फ्रांस के अंदर कैसे आतंक फैलाना है और कैसे लोगों को जिहाद के लिए तैयार करना है। इसकी पूरी जानकारी दी गई थी।

पुलिस को यहां उन आतंकियों से जुड़ी ऑडियो रिकॉर्डिंग भी मिली, जो जिहाद के नाम पर लड़ते हुए मारे गए हैं। इस रिकॉर्डिंग में इन आतंकियों को हीरो की तरह पेश किया गया है। इसमें से ज्यादातर आतंकी जबत अल-नुस्रा गुट के थे, जिसे सीरिया में अल-कायदा की ही एक ब्रांच माना जाता है।

आईएस के प्रचार वीडियो मिले-

इस छापामार कार्रवाई के दौरान फ्रेंच पुलिस ने 230 से ज्यादा मुसलमानों को गिरफ्तार किया और 2300 से ज्यादा घरों में छापा मारा। इस दौरान पुलिस को 300 से ज्यादा हथियार भी मिले। जिन्हें छुपाकर रखा गया था।

फ्रांस के आतंरिक मंत्री बर्नाड कैजेनुव ने कहा- “ पिछले 15 दिनों में हमने युद्ध में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियार पकड़े हैं, जो पहले साल भर में पकड़े जाते थे। इतना ही नहीं आतंरिक मंत्री ने कहा कि कुछ लोग धर्म की आड़ में अपनी असली पहचान छुपा रहे हैं। ऐसे में अपनी पहचान छुपाने में किसी पवित्र स्थल( मस्जिद) से बेहतर कोई जगह नहीं हो सकती है।

पिछले कुछ वक्त से पश्चिमी देश आतंक के निशाने पर है। इसकी बड़ी वजह है कि कभी भी इन देशों ने आतंक को उसके असली स्वरूप में कभी नहीं स्वीकारा। पहले ये देश आतंक को कानून-व्यवस्था से जोड़कर देखते थे। ऐसे में अब जब इन देशों पर आतंकी हमले हो रहे हैं तो उन्हें आतंक की असलियत समझ में आई।


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