संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अधिकारी ने शुक्रवार को आगाह किया कि कखोवका बांध के टूटने के बाद यूक्रेन में मानवीय स्थिति पहले की तुलना में ‘‘बेहद गंभीर’’ हो गई है। अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफिथ्स ने कहा कि करीब 7,00,000 लोगों को पीने के पानी की जरूरत है। उन्होंने चेतावनी दी कि विश्व के बेहद महत्वपूर्ण अनाज उत्पादक देश यूक्रेन में बाढ़ से अनाज निर्यात में कमी आएगी, दुनियाभर में खाद्यान्न की कीमतें बढ़ेंगी और लाखों जरूरतमंदों को भोजन नहीं मिलेगा।
ग्रिफिथ्स ने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ (एपी) के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘यह एक गंभीर समस्या है। लेकिन सच्चाई यह भी है कि यह इस घटनाक्रम के दुष्परिणामों की शुरुआत भर है।’’ पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे को काफी नुकसान पहुंचा है। मंगलवार को कखोवका पनबिजली बांध के टूटने और उसका पानी नीपर नदी में बहने के कारण पिछले एक साल से लगातार मिसाइल और ड्रोन हमलों का सामना कर रहे इस देश की मुसीबतें और बढ़ गईं।
रूस ने दक्षिणी यूक्रेन में ताजा पानी की आपूर्ति और सिंचाई के लिए बेहद अहम माने जाने वाले इस बांध पर पिछले साल सितंबर में कब्जा कर लिया था। अधिकारियों का कहना है कि कखोवका बांध टूटने और उसका पानी नीपर नदी में बहने से तट पर स्थित दर्जनों शहर, कस्बे और गांव जलमग्न हो गए हैं तथा वहां से 6,000 से अधिक लोगों को निकालकर सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है। यूक्रेन और मॉस्को के अधिकारियों के मुताबिक, बाढ़ में करीब 20 लोगों की मौत हुई है।
हालांकि, स्वतंत्र रूप से इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। ग्रिफिथ्स ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने यूक्रेन के नियंत्रण वाले बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 30,000 से अधिक लोगों को मानवीय सहायता पहुंचाई है। उन्होंने हालांकि कहा कि रूस ने संयुक्त राष्ट्र को अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में बाढ़ पीड़ितों की मदद की अनुमति नहीं दी है।