भुवनेश्वर। बालासोर ट्रेन हादसे में जान गंवाने वाले 39 और लोगों के शव स्थानीय अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) लाये गए, ताकि शिनाख्त की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इन शवों को बिना किसी परेशानी के उनके परिजनों को सौंपा जा सके। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। इन 39 शवों के साथ, एम्स लाए गए शवों की संख्या बढ़कर 162 हो गई और इनमें से 75 शव संबंधित परिवारों को सौंप दिये गये हैं। अधिकारियों ने बताया कि इन शवों को बालासोर से लाकर रविवार को शहर के छह अस्पतालों में रखा गया, लेकिन शोकसंतप्त परिजनों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि वे अपने प्रियजनों की तलाश में विभिन्न चिकित्सा संस्थान जा रहे हैं।एम्स के अधिकारियों ने कहा, ‘‘एम्स, भुवनेश्वर में 39 और शव लाए गए तथा बुधवार सुबह उन्हें प्रशीतन कंटेनर में रखा गया।’’ एम्स, भुवनेश्वर में शुरू में 123 शव थे। पूर्वी तटीय रेलवे ने बुधवार को कहा कि ट्रेन दुर्घटना में मरने वालों के परिजनों को शवों की पहचान के लिए दूसरे अस्पतालों में जाने की जरूरत नहीं है। ओडिशा के मुख्य सचिव पी. के. जेना ने मंगलवार शाम कहा था कि बालासोर ट्रेन हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 288 हो गई है। उन्होंने कहा, ‘‘सभी अज्ञात शवों को पहचान के लिए यहां एम्स में वैज्ञानिक रूप से संरक्षित किया गया है।’’ जेना ने कहा, ‘‘मृतकों के परिजनों की सहायता के लिए अस्पताल में एक हेल्पडेस्क भी स्थापित किया गया है।’’मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि एम्स, भुवनेश्वर ने शवों की उचित पहचान के लिए डीएनए नमूना प्रक्रिया शुरू की है। ओडिशा के बालासोर में कोरोमंडल एक्सप्रेस दो जून को ‘लूप लाइन’ पर खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई, जिससे कोरोमंडल एक्सप्रेस के अधिकतर डिब्बे पटरी से उतर गए। उसी समय वहां से गुजर रही तेज रफ्तार बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बों से टकरा कर पटरी से उतर गए।