विंध्यवासिनी सिंह
घोर आश्चर्य का युग आ गया है, जो पहले कल्पनाएं थीं, अब वह सच्चाइयां बन गई हैं। जो पहले असंभव था, अब वह संभव होने लगा है, बल्कि जो कुछ इंसान पहले सोच भी नहीं पाता था, अब वह सब कुछ होने लगा है। अब बताइए एक से बढ़कर एक वैज्ञानिक इंसान के दिमाग में किस प्रकार की प्रक्रिया चलती है उसको स्टडी करने के लिए अपना जीवन खा पाते रहे हैं, फिर भी इंसानी दिमाग को पढ़ने में वह पूरी तरह से सफल नहीं हो सके हैं। आपको यह जानकर कैसा लगेगा कि, अब बिना बिना ब्रेन इंप्लांट किए ही लोगों की दिमागी हालत की जानकारी ली जा सकती है।
सुनने में तो थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन जरा सोचिए कि, आप अगर कुछ सुनते हैं या किसी चीज की कल्पना करते हैं और वह आपके कंप्यूटर स्क्रीन पर टेक्स्ट में लोड हो जाए या ऑडियो रिकॉर्डिंग आ जाए उसकी तो है ना घोर आश्चर्य की बात!मतलब आप जो सोचेंगे वह आपके कंप्यूटर स्क्रीन पर दिख सकता है और चैट जीपीटी ने इन तमाम रिसर्च को प्रोत्साहित ही किया है। अब चैट जीपीटी से आगे निकलकर AI ना केवल आपके दिमाग को पढ़ सकता है, बल्कि उसे शब्दों में लिख भी सकता है।
ऑस्टिन में टेक्सास यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट द्वारा एक एआई मॉडल डिवेलप किया गया है, जो आपके विचारों को न केवल पढ़ सकता है, बल्कि उसे अनुवाद भी कर सकता है। सिमेंटिक डिकोडर के रूप में अभी इसे जाना जा रहा है और गैर-इनवेसिव एआई सिस्टम नेचर न्यूरोसाइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
बता दें कि कंप्यूटर साइंस में डॉक्टरेट कर रहे जेरी टैंग और यूटी ऑस्टिन ने तंत्रिका विज्ञान एवं कंप्यूटर साइंस के असिस्टेंट प्रोफेसर एलेक्स हथ के लीडरशिप में इसे तैयार किया जा रहा है। बता दें कि यह ट्रांसफार्मर मॉडल पर बेस्ट है जो कुछ-कुछ गूगल बार्ड और चैटजीपीटी जैसा माना जा सकता है।
जरा सोचिए अगर यह टूल पूरी तरह से विकसित हो गया तो लकवा ग्रस्त मरीज और दिव्यांगों के लिए या किसी वरदान से कम होगा क्या? जाहिर तौर पर यह मस्तिष्क की गतिविधियों को यदि कोड कर सकता है और उसके मस्तिष्क में क्या चल रहा है यह पता चल जाएगा, ऐसे में differently-abled लोगों की दुनिया निश्चित रूप से इससे काफी आसान बन सकती है।