अशोक कुमार यादव मुंगेली
पीकर शराब खो दोगे आत्म चेतना,
सिगरेट के धुएँ से उड़ेगी प्राण वायु।
तम्बाकू और गुटखा से होगा कैंसर,
जिंदगी जिओगे नशेड़ी तुम अल्पायु।।
किस बात का गम है,करते हो नशा,
क्या मोहब्बत में तुझे धोखा मिला है?
तुम्हारी प्रेमिका की हो रही है शादी,
भुला दो उसे,जिसने तुझे भुलाया है।।
परिवार के लोगों से है तुझे अनबन,
क्या बीवी से होते हो प्रतिदिन लड़ाई?
प्यार भरी मीठी बातें करके मना लो,
पल भर में दूर होगी तन्हाई, जुदाई।।
ज्ञान अध्याय को पूरा ना कर सके,
क्या परीक्षा में हो गए हो असफल?
फिर से मेहनत करो,एक बार और,
इस बार हो जाओगे जरूर सफल।।
इस संसार में सभी को है परेशानियाँ,
दुःख को सुख में ढाल,नशा को छोड़।
बदल दो भाग्य रेखाओं को कर्म से,
मानव धूम्रपान की बेड़ियों को तोड़।।