नई दिल्ली। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने सिद्धार्थ बिल्डहोम प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटरों द्वारा प्रस्तुत निकासी योजना को मंजूरी देते हुए 800 से अधिक खरीदारों को उनके मकान मिलने का रास्ता साफ कर दिया है। एनसीएलटी के फैसले के मुताबिक खरीदारों को मकान दिलवाने के लिए एक परियोजना निगरानी समिति गठित की जाएगी जिसमें सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश परियोजनाओं को समय पर पूरा करने की निगरानी करेंगे। वहीं दूसरी तरफ कंपनी के प्रमोटर सिद्धार्थ चौहान ने आवसीय परियोजना सिद्धार्थ एनसीआर वन/ग्रीन्स के खरीदारों को 6 महीने जबकि सिद्धार्थ एस्टेला के खरीदारों को 12 महीने के भीतर आवश्यक मंजूरी मिलने के बाद मकानों का कब्जा देने की प्रतिबद्धता जताई है।
यह है मामला
सिद्धार्थ बिल्डहोम प्राइवेट लिमिटेड ने साल 2010 में सिद्धार्थ एनसीआर वन/ग्रीन्स नाम से जबकि साल 2011 में सिद्धार्थ एस्टेला नाम से आवासीय परियोजना की लांचिंग की थी. वहीं एनसीआर वन/ग्रीन्स में वर्ष 2014 तो एस्टेला में साल 2015 में खरीदारों को मकानों का आवंटन किया जाना था. लेकिन 2014 में दोनों परियोजनाओं का निर्माण ठप हो गया। दूसरी तरफ अधिकांश खरीदार 2014-2015 तक संपत्ति की कीमत का 95% से अधिक तक का भुगतान कर चुके थे. 800 से अधिक खरीदारों गाढ़ी कमाई अटकी गई थी और कोई समाधान नहीं दिख रहा था. समस्या के समाधान के लिए तब से खरीदारों ने ईओडब्ल्यू, एनसीडीआरसी, रेरा जैसे मंचों के दरवाजे खटखटाए लेकिन राहत नहीं मिल सकी। फिर मामला एनसीएलटी पहुंचा. वहीं 4 मार्च 2021 को सिद्धार्थ बिल्डहोम प्राइवेट लिमिटेड जिसके बाद कंपनी के प्रमोटरों द्वारा प्रस्तुत निकासी योजना को मंजूरी दे दी। मेसर्स सिद्धार्थ बिल्डहोम प्राइवेट लिमिटेड 24 मई 2023 को घर खरीदारों के एक बड़े बहुमत ने बिल्डरों के पक्ष में निकासी योजना के लिए मतदान किया। अब एनसीएलटी कोर्ट का फैसला आने के बाद लोगों को अपना निवेश सार्थक होता महसूस होने लगा है.
ऐसे पहुंचा एनसीएलटी में मामला
इन दोनों की परियोजनाओं के निर्माण के लिए कर्ज देने वाले पंजाब नेशनल बैंक ने साल 2020 में कंपनी के खिलाफ दिवाला कार्यवाही आवेदन दायर किया, जिसे 4 मार्च 2021 के महीने में कानून न्यायाधिकरण द्वारा अनुमोदित किया गया था। एक दिवाला समाधान पेशेवर ने कंपनी का अधिग्रहण किया, पहला दौर बोली प्रक्रिया की शुरुआत जुलाई 2021 के महीने में हुई, जिसमें 3 योग्य बोलीदाताओं को देखा गया, जिनमें प्रमोटर स्वयं कंपनी के लिए बोली लगा रहे थे।
पहले प्रस्ताव में कॉरपोरेट देनदार (एसबीपीएल) के लेनदारों की समिति, जिसने पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक और खरीदारों का गठन किया, उसने प्रस्तावों पर विचार किया और सभी बोली लगाने वाले आवेदकों को अस्वीकार करने का फैसला किया क्योंकि उनकी शर्तें घर खरीदारों के लिए अनुपयुक्त पाई गईं।
दूसरे प्रस्ताव में बोली प्रक्रिया वर्ष 2022 में शुरू हुई जिसमें प्रमोटरों सहित दो योग्य बोलीदाताओं को देखा गया जिन्होंने IBC की धारा 12A के तहत अपनी निकासी योजना प्रस्तुत की। इस बार, खरीदारों ने पूर्व-प्रमोटरों के प्रस्ताव को स्वीकार्य पाया क्योंकि वे समयबद्ध तरीके से और होमबॉयर्स को बिना किसी अतिरिक्त लागत के फ्लैट देने के लिए प्रतिबद्ध थे। अन्य बोली में होमबॉयर्स पर अतिरिक्त लागत और कोई प्रतिबद्ध डिलीवरी समयसीमा शामिल नहीं थी जिसके बाद इसी साल 23 जनवरी को मतदान शुरू हुआ, जिसमें देखा गया कि पूर्व-प्रवर्तकों की योजना 92.85% मतों के साथ पारित हुई।
अब आगे क्या
एनसीएलटी के फैसले के बाद पूर्व-प्रमोटरों ने योजना के अनुमोदन की पूर्व शर्त के रूप में 15 करोड़ का फंड देने के साथ ही खरीदारों को मकान देने के लिए चौबीसों घंटे काम करने की प्रतिबद्धता जताई है। इधर, एनसीएलटी के फैसले का स्वागत करते हुए एसबीएल के सीओओ कृशन बजोरिया ने बताया कि गुरुग्राम के सेक्टर 95 में स्थित सिद्धार्थ एनसीआर वन/ग्रीन्स का साल 2010 में लॉन्च किया गया था 10.71 एकड़ भूमि पर फैली इस परियेाजना में कुल 10 टावर बनने हैं जिनमें फेज 2 के 5 टावर अटके हुए हैं। कुल 555 फ्लैटों में से 392 फ्लैट फेज 2 के 5 टावरों में अटके हुए हैं। वहीं गुरुग्राम के ही सेक्टर 103 में स्थित सिद्धार्थ एस्टेला की लांचिंग 2011 में की गई थी जिसे 2015 तक पूरा किया जाना था 15.74 एकड़ की इस परियोजना के कुल 16 टावर में से 8 टावर अटके हुए हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा, ‘दोनों परियोजनाओं का बड़ा हिस्सा तैयार है और अब जैसे ही आवश्यक मंजूरियां कंपनी को मिल जाएंगी आगे का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा साथ ही निर्धारित समय पर खरीदारों को उनके मकानों का कब्जा भी सौंप दिया जाएगा.’