न्यूयॉर्क। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को पाकिस्तान मूल के कनाडाई उद्यमी तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित करने की मंजूरी देनी ही पड़ेगी क्योंकि अमेरिका विदेशी आतंकवाद से जूझ रहे हर देश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। एक प्रतिष्ठित भारतीय-अमेरिकी अटॉर्नी ने यह बात कही।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा से एक महीने पहले एक संघीय अदालत ने वाशिंगटन के माध्यम से नयी दिल्ली के अनुरोध पर पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण के लिए सहमति जताई। भारत सरकार 2008 के मुंबई आतंकी हमले में संलिप्तता के आरोपी राणा के प्रत्यर्पण की लंबे समय से मांग कर रही थी।
26/11 के मुंबई हमलों के साजिशकर्ताओं को न्याय के कठघरे में लाने की भारत की लड़ाई में एक बड़ी जीत के तहत कैलिफोर्निया की सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की अमेरिकी मजिस्ट्रेट न्यायाधीश जैकलीन चोलजियान ने बुधवार को 48 पन्नों का आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि भारत और अमेरिका के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को भारत प्रत्यर्पित करना चाहिए।
आदेश में कहा गया है, ”अदालत ने इस अनुरोध के समर्थन और विरोध में प्रस्तुत सभी दस्तावेजों की समीक्षा की है और उन पर विचार किया है और सुनवाई में प्रस्तुत दलीलों पर विचार किया है। इस तरह की समीक्षा और विचार के आधार पर और यहां चर्चा किए गए कारणों के आधार पर, अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची है और अमेरिका के विदेश मंत्री को प्रत्यर्पण की कार्रवाई के लिए अधिकृत करती है।”
राणा के प्रत्यर्पण आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय अमेरिकी अटॉर्नी रवि बत्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि चोलजियान के सुविचारित आदेश में भारत में आतंकवाद को फैलाने का भयावह ब्योरा रेखांकित है। उन्होंने कहा कि यह आदेश हमारी द्विपक्षीय प्रर्त्यपण संधि के तहत हमारे कानूनी प्रोटोकॉल के लिहाज से पारदर्शी है।
बत्रा ने कहा कि यह फैसला अब अदालत से विधिवत रूप से कार्यपालिका में विदेश मंत्री के समक्ष जाएगा और उन्हें प्रत्यर्पण अनुरोध को मंजूरी देने के लिए बाध्य होना पड़ेगा क्योंकि अमेरिका में 9/11 का आतंकवादी हमला पर्ल हार्बर से अधिक भयावह था और अमेरिका विदेशी आतंकवाद से त्रस्त किसी भी देश के साथ डटकर खड़ा है।