बेंगलुरू/नई दिल्ली। कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने नई दिल्ली रवाना होने से पहले मंगलवार को कहा कि वह मुख्यमंत्री पद हासिल करने के लिए किसी की पीठ में छुरा नहीं घोंपेंगे और न ही ब्लैकमेल करेंगे। श्री शिवकुमार ने विमान में सवार होने से पहले यहां संवाददाताओं से कहा, “राजनीति में, सब कुछ पर विचार करना पड़ता है। जड़ों के बिना, कोई फल नहीं होता है… हमारा एक संयुक्त घर है, हमारी संख्या 135 है। मैं यहां किसी को विभाजित नहीं करना चाहता। सोनिया गांधी हमारी आदर्श और आलाकमान मुख्यमंत्री का चेहरा तय करेंगे। अगर मैं योग्य हूं, तो वे मुझे जिम्मेदारियां देंगे। वे मुझे पसंद करते हों या नहीं, मैं पार्टी अध्यक्ष और एक जिम्मेदार व्यक्ति हूं। मैं पीठ में छुरा नहीं घोपूंगा और न ही ब्लैकमेल करूंगा क्योंकि मैं गलत इतिहास नहीं रचना चाहता।”
श्री शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं। दोनों की निगाहें 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले से इस प्रतिष्ठित पद पर टिकी हैं। दोनों के बीच, श्री शिवकुमार मुख्यमंत्री पद के बहुत मुखर उम्मीदवार रहे हैं क्योंकि श्री सिद्धारमैया द्वारा अधिक संख्या में विधायकों के समर्थन का दावा करने के बाद वह पार्टी आलाकमान को कड़ा संदेश भेजते रहे हैं। इसके विपरीत, श्री सिद्धारमैया चुप्पी साधे रहे और पत्रकारों से बातचीत नहीं की। वह सोमवार शाम एक विशेष विमान से दिल्ली पहुंचे और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की। श्री शिवकुमार ने कल शाम दिल्ली जाने के लिए टिकट बुक की थी, लेकिन अचानक स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए यात्रा रद्द कर दी, जिससे कयासों को हवा मिली कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है।
इस बीच, कांग्रेस विधायक दल की बैठक की देखरेख के लिए कर्नाटक भेजे गये पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंप दी है। वह कर्नाटक की जातिगत राजनीति की बारीकियों को जानते हुए अगले मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा करने के लिए श्रीमती गांधी और पार्टी नेता राहुल गांधी के पाले में गेंद डाल सकते हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस 224 सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई। पार्टी ने 135 सीटें जीतकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार को बाहर का रास्ता दिखा दिया। पिछले विधानसभा चुनावों में 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी भाजपा 2023 के चुनावों में मतदाताओं को लुभाने में विफल रही।